हरिद्वार में 19 और 20 जून को विहिप की फैसला लेने वाली सबसे बड़ी इकाई मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने जा रही है। वीएचपी को उम्मीद है कि इस बार राम मंदिर को लेकर बनाए जाने वाला दबाव किसी तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचेगा।
लोकसभा चुनाव समाप्त होने और केंद्र में सरकार के गठन के बाद विश्व हिंदू परिषद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अपने अभियान को नए सिरे से धार देने की तैयारी में है। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले वीएचपी ने राम मंदिर को लेकर अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध विहिप देश भर के हिंदू संतों का सबसे बड़ा मंच है। हरिद्वार में 19 और 20 जून को विहिप की फैसला लेने वाली सबसे बड़ी इकाई मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने जा रही है।
वीएचपी ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले इस मुद्दे को लेकर काफी आक्रामक रुख अपनाया था। हालांकि वह नहीं चाहती थी कि चुनावों से पहले इसका मोदी सरकार पर कोई विपरीत प्रभाव पड़े, यही वजह है कि वीएचपी ने तब अपना आंदोलन स्थगित कर दिया। लेकिन अब जबकि नरेंद्र मोदी सरकार की बड़े जनादेश के साथ सत्ता में वापसी हो चुकी है, वीएचपी को उम्मीद है कि इस बार राम मंदिर को लेकर बनाए जाने वाला दबाव किसी तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचेगा।
वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने 'माय नेशन' से बातचीत में कहा, 'यह कोई कान्क्लेव नहीं है। न ही अयोध्या में राम मंदिर को लेकर है। हमारा मार्गदर्शक मंडल हरिद्वार में मिलने वाले है। इसमें राम मंदिर मुद्दे पर आगे बढ़ने को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। इसमें यह खाका तैयार किया जाएगा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए अब क्या किया जाना चाहिए। हालांकि इससे अतिरिक्त दूसरे मामलों पर भी चर्चा होगी।'
मार्गदर्शक मंडल की बैठक स्वामी परमानंद के आश्रम में होगी। वीएचपी की भविष्य की योजना और कार्यक्रमों पर फैसला इसी बैठक में लिया जाएगा। इसी के बाद अगले कदम की घोषणा होगी। इससे पहले यह बैठक दिल्ली में हुई थी और इसमें संगठन के 40 वरिष्ठ पदाधिकारी व संत शामिल हुए थे।