करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली है। बिमल वर्मा के वकील ने आज कहा कि कि अपनी अपील दायर करने की स्वतंत्रता के कारण अपनी याचिका वापस ले ली है।
करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली है। बिमल वर्मा के वकील ने आज कहा कि कि अपनी अपील दायर करने की स्वतंत्रता के कारण अपनी याचिका वापस ले ली है।
असल में वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना का अगला प्रमुख नियुक्त किए जाने के खिलाफ वायस एडमिरल बिमल वर्मा ने सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल में दायर याचिका को वापस ले लिया है। हालांकि उनके वकील का कहना है कि जिस तरह किसी मामले की याचिका को दायर करने की स्वतंत्रता है उसी तरह उसे वापस लेने की भी आजादी है। लिहाजा बगैर किसी दबाव के इस याचिका को वापस ले लिया गया है।
गौरतलब है कि सोमवार को ही वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने उनकी जूनियर अफसर को नौसेना प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। वर्मा ने अपनी याचिका में कहा था कि उनको प्राथमिकता न देकर वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना का अगला प्रमुख नियुक्त किया गया है। जो नियमों को विरूद्ध है। क्योंकि वह करमबीर से वरिष्ठ हैं और इस पद पर उनकी वरिष्ठता को देखते हुए किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल में दायर याचिका की थी।
पिछले महीने 23 मार्च को केन्द्र सरकार ने वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना का अगला प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की थी। उनको एडमिरल सुनील लांबा के स्थान पर नियुक्त किया गया था। लांबा अगले महीने यानी मई के अंत में रिटायर होंगे। करमबीर सिंह नियुक्ति के लिए सरकार के तर्क थे कि मेरिट आधारित दृष्टिकोण अपनाते हुए उनका चयन किया गया है। क्योंकि नियमों के मुताबिक वरिष्ठतम अधिकारी की नियुक्ति की जाने की कोई परंपरा नहीं है। अभी वर्मा अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ वाइस एडमिरल के पद पर हैं जबकि वह करमबीर से वरिष्ठ हैं।