क्या है बिहार में एनडीए की सीटों का चुनावी समीकरण

By dhananjay Rai  |  First Published Oct 29, 2018, 3:14 PM IST

सीट बंटवारे की सहमति के बाद अब सीटों को लेकर कयास का दौर शुरु हो गया है। भाजपा की तरफ से कुछ सीट छोड़ने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन किस का टिकट कटेगा इसे लेकर सांसदों के मन में बेचैनी है।

बिहार में सीटों के बटवारे को लेकर एनडीए में सहमति बन गई है। भाजपा ने गठबंधन के लिए अपनी जीती हुई लगभग एक दर्जन सीट छोड़ने का फैसला किया है। अब बिहार में भाजपा और जदयू दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ंगे।

वहीं लोक जन शक्ति पार्टी भी अपनी एक सीट छोड़ ने के लिए तैयार है। उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को पिछली बार की तरह तीन सीट मिलेगी। इस सीट बंटवारे की सहमति के बाद अब सीटों को लेकर कयास का दौर शुरु हो गया है। भाजपा की तरफ से कुछ सीट छोड़ने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन किस का टिकट कटेगा इसे लेकर सांसदों के मन में बेचैनी है।

माना जा रहा है कि पिछले लोक सभा चुनाव में भाजपा अपनी जीती हुई वाल्मीकिनगर , दरभंगा, मुजफ्फरपुर, झंझारपुर, उजियारपुर, सासाराम और बेगूसराय सीट अपनी सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ सकती है। वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र के सांसद सतीश चंद्र दुबे हैं उनका टिकट काटा जा सकता है। इसके अलावा भाजपा की बेगूसराय सीट खाली है। इस सीट से भाजपा के भोला सिंह सांसद थे। जिनकी पिछले दिनों मौत हो गई। बेगूसराय सीट लोजपा के खाते में जा सकती है।

बेगूसराय से लोजपा के बाहुबली नेता सुरजभान सिंह की पत्नी और वर्तमान में मुंगेर से सांसद बीना देवी के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। बेगूसराय बाहुबली नेता सुरजभान सिंह का गढ़ माना जाता हैं यहाँ से वह पहले भी सांसद रह चुके हैं। मुंगेर की सीट जदयू के खाते में जा सकती है। इस सीट से जदयू बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री लल्लन सिंह को चुनाव मैदान में उतार सकती है। दरभंगा सीट को लेकर भाजपा को ज्यादा परेशानी नहीं है क्योकि यहां से सांसद कीर्ति आजाद पहले से ही बगावती सुर में बोल रहे हैं।

इसके अलावा वैशाली सीट भी जदयू के खाते में जा सकती है। इस सीट से वर्तमान में लोजपा के रामा सिंह सांसद है। सबसे ज्यादा पेंच जहानाबाद की सीट को लेकर है। जहानाबाद सीट से वर्तमान में रालोसपा के डॉ.अरुण कुमार सांसद हैं, लेकिन उन्होंने कुछ दिन पहले ही उपेंद्र कुशवाहा से अलग हो गए है। संभावना इस बात की है कि अरुण कुमार को भाजपा का टिकट मिल जाए। 

अगर यह संभव नहीं हो पाता है तो यह सीट भी जदयू के खाते में जा सकती है। इस स्थिति में यहां से बिहार सरकार में मंत्री कृष्णनंदन वर्मा यहां से एनडीए के प्रत्याशी हो सकते हैं। इस परिस्थिति में अरुण कुमार निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतर सकते हैं। अरुण कुमार ने अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए पटना में एक रैली भी की। उन्होंने अपनी इस रैली के माध्यम से भाजपा और नीतीश दोनों को अपनी शक्ति का एहसास कराना चाहते था। अपनी इस रैली में उन्होंने नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला।

उधर रालोसपा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा कराकाट की जगह उजियारपुर से चुनाव लडना चाहते हैं इस स्थिति में बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यनंद राय को अपनी सीट छोडनी पड़ सकती है। अगर देखा जाए तो वर्तामान में भाजपा बक्सर, भागलपुर, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र , बेतिया , मोतीहारी, मधुबनी, छपरा, सिवान, आरा की सीट पक्की मानी जा रही है। देखा जाए तो सीट बंटवारे के बाद भी भाजपा के सभी केंद्रीय मंत्रियों का टिकट पक्का है।

केंद्र में इस समय बिहार से भाजपा के गिरिराज सिंह, आरके सिंह, अश्विनी चौबे, रामकृपाल यादव मंत्री हैं। सीट बंटवारे के बाद भी इन सभी की सीटों पर किसी तरह का खतरा नहीं दिख रहा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या उन जगहों पर है जहां से वर्तमान में भाजपा जीती हैं लेकिन गठबंधन के कारण यह सीटें सहयोगी दलों के खाते में चली जाएंगी।
 

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