सोहराबुद्दीन मामले को लेकर जेटली का राहुल पर तंज, पूछा जांच का सत्यानाश किसने किया?

By Team MyNation  |  First Published Dec 31, 2018, 2:47 PM IST

फेसबुक ब्लॉग में अरुण जेटली ने लिखा, ‘आरोपियों को बरी करने के आदेश से ज्यादा अहम जज की यह टिप्पणी है कि शुरुआत से ही जांच एजेंसी ने सच का पता लगाने के लिए पेशेवर तरीके से जांच नहीं की, बल्कि कुछ नेताओं की तरफ इसका रुख मोड़ने की कोशिश की।’

सोहराबुद्दीन मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तंज कसा है। इस मामले के आरोपियों के सीबीआई की विशेष अदालत से बरी होने के बाद राहुल गांधी ने कहा था, ‘किसी ने भी सोहराबुद्दीन की हत्या नहीं की।’इस पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉक के जरिये कहा, राहुल गांधी के लिए उचित सवाल यह होता कि इस मामले में जांच का किसने सत्यानाश किया।

मुंबई के विशेष सीबीआई अदालत ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। जेटली ने कहा, ‘आरोपियों को बरी करने के आदेश से ज्यादा प्रासंगिक जज की यह टिप्पणी है कि शुरुआत से ही जांच एजेंसी ने सच का पता लगाने के लिए पेशेवर तरीके से मामले की जांच नहीं की, बल्कि कुछ नेताओं की तरफ इसका रुख मोड़ने की कोशिश की।’

जेटली ने कहा, ‘यह उचित होता अगर उन्होंने यह सवाल पूछा होता कि किसने सोहराबुद्दीन मामले में जांच का सत्यानाश किया तो उन्हें सही जवाब मिलता।’ जेटली ने ‘हू किल्ड द सोहराबुद्दीन इनवेस्टिगेशन’ शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि जिन लोगों ने हाल में संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई थी, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिये कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने सीबीआई के साथ क्या किया।

राज्यसभा में सदन के नेता जेटली ने कहा कि उन्होंने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था जिसमें सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति, इशरत जहां, राजिंदर राठौड़ और हरेन पांड्या मामलों में जांच के राजनीतिकरण का ब्योरा दिया था।

जेटली ने कहा, ‘पत्र में जो कुछ भी मैंने कहा है वह अगले पांच वर्षों में सही साबित हुआ है। हमारी जांच एजेंसियों के साथ कांग्रेस ने क्या किया, उसका यह अकाट्य साक्ष्य है।’ इस महीने की शुरूआत में विशेष सीबीआई अदालत ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था।

अदालत ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा था कि सीबीआई ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहायक तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों में हत्या के मामले की जांच नेताओं को फंसाने के लिए ‘पहले के कल्पनापूर्ण और पूर्व नियोजित’ तरीके से की।
 

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