विपक्षी दलों के गठबंधन के जरिए 'राजनैतिक वजूद' को बचाने की जुगत में हैं चद्रबाबू नायडू

By Team MyNationFirst Published May 19, 2019, 1:28 PM IST
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कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उन्हें चुनाव परिणाम से पहले किसी भी तरह की बैठक के लिए मना किया था। लेकिन उसके बावजूद चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा बनाने में जुटे हैं। अभी तक नायडू ज्यादातर विपक्षी दलों से मिल चुके हैं। असल में चंद्रबाबू नायडू अपने राजनैतिक अस्तित्व के लिए विपक्ष को एक मंच पर लाना चाहते हैं। पिछले साल तक चंद्रबाबू नायडू एनडीए के संयोजक थे। इसके कारण उनकी केन्द्र में हनक भी थी और पूछ भी। लेकिन एनडीए से बाहर जाने के बाद चंद्रबाबू नायडू की राजनैतिक हनक कम हो गयी। 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाले राजनैतिक समीकरणों के लिए विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। नायडू क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुनाव के बाद बनने वाले समीकरणों पर विचार विमर्श कर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बनाने की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि आखिर चंद्रबाबू नायडू ही इतने बैचेन क्यों हैं। जबकि कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उन्हें चुनाव परिणाम से पहले किसी भी तरह की बैठक के लिए मना किया था। लेकिन उसके बावजूद चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा बनाने में जुटे हैं। अभी तक नायडू ज्यादातर विपक्षी दलों से मिल चुके हैं।

असल में चंद्रबाबू नायडू अपने राजनैतिक अस्तित्व के लिए विपक्ष को एक मंच पर लाना चाहते हैं। पिछले साल तक चंद्रबाबू नायडू एनडीए के संयोजक थे। इसके कारण उनकी केन्द्र में हनक भी थी और पूछ भी। लेकिन एनडीए से बाहर जाने के बाद चंद्रबाबू नायडू की राजनैतिक हनक कम हो गयी। वहीं राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू को वाईएसआर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। जिसके कारण उनके राजनैतिक भविष्य दांव पर है।

लिहाजा उनके पास विपक्षी दलों का मोर्चा बनाकर अपना राजनैतिक वजूद बचाने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता है। राज्य की 175 विधानसभा की सीटों के लिए लोकसभा के साथ ही मतदान हुआ। लिहाजा नायडू एक बार फिर विपक्षी दलों का मोर्चा बनाकर किंगमेकर बनना चाहते हैं। सन् 1996 में भी चंद्रबाबू नायडू संयुक्त मोर्चा सरकार में अहम किरदार में थे। कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की थी।

ताकि इस विपक्षी मोर्चे में उन्हें शामिल किया जा सके। लेकिन ममता ने उनकी मांग को टालते हुए कहा जब तक चुनाव परिणाम नहीं आते हैं तो इस बारे में बातचीत करना सही नहीं है। लिहाजा नायडू कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, एनसीपी नेता शरद पवार से दिल्ली में मिले।

उसके बाद उन्हें यूपी की तरफ रूख किया जहां उन्होंने बीसएसपी प्रमुख मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की। अगर देखें तो नायडू विपक्षी के ज्यादातर नेताओं से मिल चुके हैं। लेकिन सभी का एक ही सवाल के ही अगर चुनाव परिणाम में किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो पीएम कौन बनेगा। 

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