पूरे शहर में पोस्टर लगाने के बाद आखिर क्यों भारत-बंद से पीछे हट गई शिवसेना

By Anshuman Anand  |  First Published Sep 10, 2018, 2:28 PM IST

एनडीए की सहयोगी शिवसेना तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर मुखर थी। उसके कार्यकर्ता एक दिन पहले तक पूरे शहर में पोस्टर-बैनर लगाते हुए दिख रहे थे। लेकिन जब भारत-बंद का दिन आया तो शिवसेना ने अपने पैर पीछे खींच लिए। 

उद्धव ठाकरे को अचानक यह हुआ क्या? हालांकि उनके भाई राज ठाकरे ने भारत बंद को पूरा समर्थन दिया है। उनकी पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ता मुंबई बंद कराने में पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। यहां तक कि कांग्रेस और एनसीपी दोनों को पूरा भरोसा था, कि शिवसेना भी डीजल-पेट्रोल की कीमतों को लेकर भारत बंद में शामिल होगी। कांग्रेस-एनसीपी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल होने के लिए शिवसेना से अपील की थी। लेकिन आखिरी मौके पर उद्धव ठाकरे इन सबको गच्चा देकर निकल गए। 
इसकी वजह थी एक फोन कॉल। जो कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को की थी। शिवसेना एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'अमित शाह जी की तरफ से फोन आया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भी कॉल की थी। इसलिए हमने खुले रूप से बंद को समर्थन न देने का निर्णय लिया है। हम खुद से ही पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और बीजेपी सरकार की नीतियों का मुखर विरोध भी कर रहे हैं।'
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी भारत बंद से दूर रहने के उद्धव ठाकरे के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि वह देखना चाहते है कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का बंद कितना दूर जाता है। उन्होंने कहा, 'शिवसेना पिछले चार साल से महाराष्ट्र में असली विपक्ष के रूप में खड़ा रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष तो अभी जागा है। उन्हें हड़ताल करने दीजिए। जब आम आदमी के लिए सड़कों पर उतरने का समय आएगा तो शिवसेना दिखाएगी कि बंद कैसे किया जाता है। शिवसेना महाराष्ट्र में असली बंद सम्राट है।' 
भारत बंद से दूर रहने की शिवसेना की वजह चाहे जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है, कि अगर शिवसेना बंद में शामिल होने के लिए निर्णय पर कायम रहती, तो यह बीजेपी के लिए बड़ी असमंजस की स्थिति बन जाती।  क्योंकि  शिवसेना केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी के साथ गठबंधन में है। 
 हालांकि एक और आकलन के मुताबिक,  पिछले कुछ दिनों में शिवसेना को राज्य के निगमों और एजेंसियों में भारी संख्या में पद दिए गए हैं। जिसकी वजह से पार्टी बीजेपी के प्रति नरम रुख अपना रही है। इससे पहले जून में अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात भी की थी। जिसके बाद से दोनों पार्टियों के रिश्तों में नरमी देखी जा रही थी। ऐसी भी खबरें आ रही हैं, कि अगर दोनों पार्टियों के बीच उचित सौदा हो जाता है तो शिवसेना 2019 चुनाव में साथ चुनाव न लड़ने का फैसला वापस भी ले सकती है।' 
 

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