नीरू सांब्याल ने 11 महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) से पासआउट किया है। वह उन 252 अन्य कैडेट्स में शामिल हैं, जो बतौर अधिकारी सेना में शामिल हुए हैं। 28 साल की नीरू अदम्य साहस का परिचय देते हुए कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
करीब दो साल पहले राइफलमैन रविंदर सांब्याल ने राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान किया था। पति की शहादत और एक छोटी सी बच्ची को पालने की जिम्मेदारी ने शायद नीरू सांब्याल के इरादों को इतना बुलंद कर दिया कि उन्होंने खुद सेना में भर्ती होने की ठान ली। देशप्रेम की अनूठी मिसाल रखते हुए नीरू बतौर अधिकारी सेना में शामिल हो गई हैं।
नीरू सांब्याल ने 11 महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) से पासआउट किया है। वह उन 252 अन्य कैडेट्स में शामिल हैं, जो बतौर अधिकारी सेना में शामिल हुए हैं। 28 साल की नीरू अदम्य साहस का परिचय देते हुए कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
जम्मू के बड़ी ब्राह्मण इलाके की रहने वाले नीरू एनसीसी की कैडेट रह चुकी हैं। चार साल की बच्ची की मां नीरू के लिए सेना में शामिल होने का फैसला बहुत मुश्किल था। नीरू की शैक्षणिक पृष्ठभूमि अच्छी रही है। वह बीएड और एमएड कर चुकी हैं। वह किसी दूसरे क्षेत्र में अपना करियर बना सकती थीं। लेकिन उन्हें पति के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी सनिध्या का ध्यान रखते हुए ओटीए की तैयारी शुरू की। वह पहले ही प्रयास में एसएसबी पास करने में सफल रहीं। इसमें उनके पति की बटालियन 2 जैक राइफल्स ने उन्हें हरसंभव मदद की। उन्हें सेना में शामिल और परीक्षा पास करने के लिए प्रेरित किया।