क्या सरकार बचाने के लिए सिंधिया के साथ आएंगे कमलनाथ

By Team MyNation  |  First Published Mar 2, 2020, 5:45 AM IST

मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीट खाली हो रही हैं।  इसमें एक सीट भाजपा के खाते में जाना तय है जबकि दो सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी। लेकिन कांग्रेस की मुश्किल ये है कि इन दो सीटों पर दावेदारों की कमी नहीं है। पिछले दिनों कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का दावा था कि आलाकमान ने सिंधिया को राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया है।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच क्या राज्य के सीएम कमलनाथ अपनी सरकार बचाने के लिए इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में खड़ें होंगे। जबकि राज्य की खाली हो रही दो सीटों पर कांग्रेस के कई दावेदार हैं। लेकिन इन सब दावेदारों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का दावा मजबूत माना जा रहा है। वहीं कांग्रेस को डर है कि अगर सिंधिया को राज्यसभा नहीं भेजा तो पार्टी में टूट हो सकती है और इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ेगा।

मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीट खाली हो रही हैं।  इसमें एक सीट भाजपा के खाते में जाना तय है जबकि दो सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी। लेकिन कांग्रेस की मुश्किल ये है कि इन दो सीटों पर दावेदारों की कमी नहीं है। पिछले दिनों कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का दावा था कि आलाकमान ने सिंधिया को राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया है। लिहाजा एक सीट पर सिंधिया द्वारा दावा किया जा रहा है। वहीं दूसरी सीट पर दिग्विजय सिंह दावेदारी कर रहे हैं।

अभी तक राज्य में कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का समर्थन है। वहीं राज्य की राजनीति में सिंधिया और कमलनाथ के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। लेकिन अब सिंधिया कमलनाथ की मजबूरी बनते जा रहे हैं। क्योंकि ये कहा जा रहा कि अगर सिंधिया को राज्यसभा नहीं भेजा गया था तो सिंधिया समर्थक कमलनाथ सरकार से बगावत कर सकते हैं। मध्य प्रदेश की 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, चार निर्दलीय, एक सपा के और दो बसपा के विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के 114 विधायकों में से 35 से ज्यादा विधायक सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं।  वहीं सिंधिया के कुछ समर्थकों का कहना है कि सिंधिया अब राज्यसभा जाने के पक्ष में नहीं है।

क्योंकि अगर वह राज्यसभा जाते हैं तो इसका उनकी राजनीति में कोई असर नहीं होगा। सिंधिया अपने लिए राज्यसभा के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की कमान अपने हाथ में चाहते हैं। क्योंकि अभी तक कमलनाथ के पास ही सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष की कमान है। फिलहाल आजकल एक बार फिर सिंधिया पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं कमलनाथ कई नेताओं के न चाहने के बावजूद सिंधिया को राज्यसभा में भेजना चाहते हैं। ताकि राज्य की सरकार पर किसी का असर न हो।
 

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