हरियाणा में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी राज्य में पार्टी की कमान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी अशोक तंवर के हाथ में है। जबकि हुड्डा और तंवर के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। वहीं राज्य में किरन चौधरी और कुमारी शैलजा के भी गुट हैं। लेकिन ये गुट भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की तरह बागी तेवर नहीं अपनाए हुए हैं। हुड्डा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं।
नई दिल्ली। हरियाणा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। हालांकि ये तय है कि आने वाले दिनों पार्टी में राज्य में बगावत हो सकती है और इसका ट्रेलर राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेन्द्र सिंह हुड्डा रोहतक में 19 अगस्त को आयोजित परिवर्तन रैली में दिखा चुके हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान अब राज्य में हुड्डा परिवार को और ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है। लिहाजा अब पार्टी अन्य धड़ों में बगावत रोकने के लिए किसी नए चेहरे पर आगामी विधानसभा चुनाव में दांव खेलना चाहती है।
हरियाणा में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी राज्य में पार्टी की कमान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी अशोक तंवर के हाथ में है। जबकि हुड्डा और तंवर के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। वहीं राज्य में किरन चौधरी और कुमारी शैलजा के भी गुट हैं। लेकिन ये गुट भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की तरह बागी तेवर नहीं अपनाए हुए हैं।
हुड्डा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। लिहाजा वह आलाकमान से खुली लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं। हुड्डा ने जिस तरह के रोहतक में परिवर्तन रैली कर अपनी ताकत का अहसास कराया, उससे कांग्रेस को ये अहसास हो गया है कि अगर हुड्डा के हाथ में कमान नहीं आती है तो हुड्डा पार्टी से बगावत जरूर करेंगे।
हुड्डा ने रैली में कई कमेटियां बनाकर ये जता दिया था कि वह एक तरह के कैबिनेट बना रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से हुड्डा और सोनिया गांधी के बीच अच्छे रिश्ते नहीं है। सोनिया गांधी भी हुड्डा की कीमत पर किसी नए चेहरे पर दांव खेलने की तैयारी में हैं। लिहाजा वह किसी भी मामले में हुड्डा को तवज्जो नहीं दे रही हैं।
हालांकि हुड्डा के परिवार का गांधी परिवार से पचास साल से ज्यादा पुराने रिश्ते हैं। लेकिन वर्तमान राजनीति को देखते हुए सोनिया राज्य में भाजपा के खिलाफ ऐसे चेहरे पर दांव खेलना चाहती जो निर्विवाद हो और किसी भी गुट का न हो।
असल में हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक की रैली में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने के लिए मोदी सरकार के कदम का समर्थन किया था। जिससे ये बात साफ है कि वह एक तरह के कांग्रेस के स्टैंड से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा ने 47 सीटें हासिल की थी। जबकि इस चुनाव में 19 विधायकों के साथ इनेलो विपक्षी पार्टी बनीं, जबकि कांग्रेस 15 सीटों के साथ राज्य में तीसरे स्थान पर रही।