Jan 3, 2019, 2:16 PM IST
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का राज आने के बाद राज्य की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। ताजा मामला है जबलपुर का। यहां एक महिला को शौचालय में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सोचने की बात यह है कि जिस जिले की कलेक्टर महिला हो, जिस जिला पंचायत की सीईओ महिला हो, जिस जनपद की सीईओ महिला हो, यहाँ तक कि जिस ग्राम की सरपंच भी महिला हो। उन्हीं सत्तासीन महिलाओं के सामने एक महिला इतनी मजबूर हो जाती है कि उसे शौचालय में अपनी जिंदगी बितानी पड़ती है।
यह मामला है जबलपुर के ग्राम नुनियाकला का। यहां की सरपंच तो महिला है लेकिन ग्राम का सारा काम उनके पति अनिल पटेल करते है और वो भी इस तरह काम करते है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ ग्रामीणों को नही मिल पाता। उन्हीं की लापरवाही का खामियाजा पिछले तीन सालो से ग्राम पंचायत नुनिया कला के चौधरी मुहल्ले में रहने वाली गरीब सत्तो बाई भुगत रही है।
सत्तो बाई का कच्चा मकान बारिश के चलते गिर गया था। जिसे गरीब सत्तो बाई आज तक नहीं बनवा पाई। क्योंकि किसी तरह मजदूरी कर वो अपना सिर्फ पेट भर सकती थी न की अपने लिए मकान बनवा सकती थी। अपने पति की मौत के बाद बेसहारा हुई सत्तो बाई ने कई बार सरपंच सचिव का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्होंने सत्तो बाई की एक न सुनी परन्तु सरपंच पति ने सत्तो बाई को पचास रुपये जरूर दे कर मदद की और कहा की शौचालय की छत पर पन्नी लाकर डाल लो और उसी में रहते रहो वही जबलपुर में पड़ रही कड़ाके की ठण्ड में जहां हर इंसान अपने घरों में गरम रजाई से निकलना नहीं चाहता। वहीं सत्तो बाई एक छोटे से शौचालय में अपनी रात किसी तरह गुजारती है इतना ही नहीं ग्राम नूनियां कला में ग्रामीणों को न तो पेंशन योजना के साथ अन्य योजनाओ का लाभ मिलता है और न ही पीने को स्वच्छ पानी और गंदगी इतनी कि नेता जी तो दूर स्थानीय महिला सरपंच तक चौधरी मुहल्ले में जाना पसंद नहीं करते है।
इस घटना के मीडिया से संज्ञान में आते ही सरपंच और सचिव ग्राम से नदारद हो गए और सरपंच पति अनिल पटेल से सपंर्क किया तो उन्होंने बताया कि वह तीर्थ यात्रा करने मैहर गए हुए हैं।