ऋषियों और संतों को सलाह दी गई है कि वे बड़ी संख्या में अपने अनुयायियों को आमंत्रित न करें। उन्होंने कहा, "इस साल महामारी के कारण माघ मेले में धार्मिक संगठनों की संख्या कम होगी। केवल द्रष्टा, 'कल्पवासी' (जो एक महीने तक रहते हैं और ध्यान करते हैं) और भक्तों का ही यहां स्वागत किया जाएगा।
प्रयागराज। कोरोनावायरस महामारी के कारण उप्र में कई सामाजिक और धार्मिक आयोजन स्थगित या रद्द किए जा रहे हैं, लेकिन जनवरी के महीने में प्रयागराज में लगने वाला वार्षिक माघ मेला हमेशा की तरह इस बार भी लगेगा। यह बात अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कही है। 13 मान्यता प्राप्त हिंदू मठों के सर्वोच्च निकाय के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात की और माघ मेले की तैयारियों पर चर्चा की। बाद में गिरि ने संवाददाताओं से कहा, "मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि महामारी के कारण परंपरा को नहीं तोड़ा जाएगा और कोविड-19 दिशा निदेश को सख्ती से लागू करते हुए संगम के तट पर आयोजित किया जाएगा।"
इसके लिए प्रयागराज में मेले के दौरान मेला परिसर के प्रत्येक क्षेत्र में सभी प्रवेश बिंदुओं पर विशेष कोरोनावायरस परीक्षण शिविर लगाए जाएंगे। धार्मिक मेले में आने वाले हर पर्यटक को परीक्षण कराना होगा। भक्त अपनी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लेकर भी यहां आ सकते हैं।
ऋषियों और संतों को सलाह दी गई है कि वे बड़ी संख्या में अपने अनुयायियों को आमंत्रित न करें। उन्होंने कहा, "इस साल महामारी के कारण माघ मेले में धार्मिक संगठनों की संख्या कम होगी। केवल द्रष्टा, 'कल्पवासी' (जो एक महीने तक रहते हैं और ध्यान करते हैं) और भक्तों का ही यहां स्वागत किया जाएगा। हम सभी भक्तों से आग्रह करेंगे कि वे 'मौनी अमावस्या' के दिन स्नान करने के लिए विभिन्न घाटों पर भीड़ न लगाएं। साथ ही कल्पवासियों को भी अपने साथ कम लोग लाने के लिए कहा जाएगा।"हाल के महीनों में राज्य सरकार ने लखनऊ महोत्सव सहित कई कार्यक्रमों को रद्द कर दिया।