दंगे रोकने में सफल हुई योगी सरकार, अब मिला एनएचआरसी से नोटिस

By Team MyNationFirst Published Feb 11, 2020, 7:00 AM IST
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असल में राज्य में प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कई नेताओं के साथ एनएचआरसी पहुंचे थे। इन नेताओं का कहना था कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार निर्दोष लोगों को जेल भेज रही है।

लखनऊ। नागरिकता संसोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सख्ती के कारण दंगे नहीं सके। राज्य सरकार के कड़े रुख के कारण उपद्रवी सलाखों के पीछे हैं और राज्य सरकार उपद्रवियों से सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान के लिए वसूली कर रही है। लेकिन अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

असल में राज्य में प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कई नेताओं के साथ एनएचआरसी पहुंचे थे। इन नेताओं का कहना था कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार निर्दोष लोगों को जेल भेज रही है। लिहाजा आयोग के इस मामले में दखल देना चाहिए। लिहाजा अब एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पुलिस की कार्यवाही के खिलाफ ठोस कदम उठाने को कहा है।

कांग्रेस ने 27 जनवरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कहा था कि  राज्य में प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाए। क्योंकि कांग्रेस का दावा था कि  पीड़ितों को मामले से संबंधित एफआईआर में आरोपी बनाया गया है लेकिन किसी भी पुलिस अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है। इस संबंध में आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया गया है और इस बारे में छह सप्ताह में जवाब मांगा गया है।

गौरतलब है कि राज्य में योगी सरकार ने कई उपद्रवियों को जेल भेजा था और सरकार की सख्ती के कारण राज्य में दंगे नहीं हो सके। जबकि प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति और पुलिस को निशाना बनाया था। राज्य में उपद्रवियों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में 16 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं राज्य सरकार ने कई उपद्रवियों पर जुर्माना लगाया था। वहीं कई मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने सरकार को सरकारी संपत्ति को पहुंचे नुकसान के लिए धन एकत्रित कर दिया था।
 

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