भारतीय नौसेना और DRDO ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल (VL-SRSAM) की सफल टेस्टिंग की। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ रहे हाई-स्पीड हवाई टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम है, जो समुद्री सुरक्षा को और भी अभेद्य बनाएगी।
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना के लिए 12 सितम्बर 2024 यानी गुरुवार का दिन बड़ा खास रहा है। वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) की टेस्टिंग सफल रही। यह परीक्षण ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से हुई। टेस्टिंग के दौरान मिसाइल ने कम ऊंचाई पर उड़ रहे हाई स्पीड वाले हवाई लक्ष्य को सफलतापूर्वक मार गिराया। इससे मिसाइल की सटीक मारक कैपेसिटी साबित हो गई। यह मिसाइल समुद्री सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
क्या है VL-SRSAM?
दरअसल, वीएल-एसआरएसएएम (Vertical Launch Short Range Surface to Air Missile) एक मॉर्डन मिसाइल प्रणाली है, इसे नेवी के जहाजों को हवाई खतरे से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। सतह से हवा में मार करने की कैपेसिटी रखने वाली इस मिसाइल को जहाजों से वर्टिकल लांचर के जरिए लॉन्च किया जाता है।
मिसाइल की टेस्टिंग का मकसद क्या?
वीएल-एसआरएसएएम की टेस्टिंग का मकसद प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर समेत वेपन सिस्टम की कैपेसिटी को परखना था। ताकि इसे यूज के लिए मान्यता दी जा सके। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने हवाई लक्ष्य को ध्वस्त कर अपनी कैपेसिटी साबित भी कर दी। आने वाले समय में यह भारतीय नौसेना के जखीरे का एक अहम वेपन होगा।
परीक्षण के दौरान परखी गई मिसाइल की कैपेसिटी
टेस्टिंग के दौरान मिसाइल की कैपेसिटी परखने के लिए हाईटेक इंस्ट्रूमेंट का यूज किया गया। ताकि मिसाइल की उड़ान, टारगेट पर निशाना लगाने और उसे न्यूट्रिलाइज करने की प्रक्रिया की मॉनीटरिंग की जा सके। रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री से मिसाइल के परफॉर्मेंस पर नरज रखी गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना और डीआरडीओ के टीमों की सराहना की है। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी टेस्टिंग में शामिल टीमों को बधाई दी है।