नई दिल्ली। 11 सितम्बर यानी आज भारत ने ग्लोबल लीडर बनने की तरफ एक और मजबूत कदम बढ़ाया, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन सम्मेलन (आईसीजीएच-2024) की शुरूआत की। उन्होंने दुनिया को एक बार फिर यह दिखा दिया कि भारत केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बनना चाहता, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक नया आयाम देने की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री के इस संदेश ने उन लाखों युवाओं के दिलों में आशा जगा दी, जो अपने सुनहरे भविष्य की राह देख रहे हैं। आइए जानते हैं क्यों?

दुनिया के सामने पेश किया उदाहरण 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत एक स्वच्छ और हरित ग्रह के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि किस तरह से भारत ने पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। हरित हाइड्रोजन उन क्षेत्रों में क्रांति लाएगा, जिनमें हार्ड-टू-इलेक्ट्रिफाइ क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने की क्षमता है। जैसे रिफाइनरियाँ, इस्पात उद्योग और हेवी-डयूटी ट्रांस्पोर्टेशन।

देश की अर्थव्यवस्था को देगा नई दिशा 

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) भारत को इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा। हमारा लक्ष्य केवल हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना ही नहीं है, बल्कि इसे विश्व स्तर पर निर्यात करने वाला एक वैश्विक केंद्र भी बनना है। यह मिशन सिर्फ भारत के पर्यावरण को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है।

2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस पुरी के अनुसार, 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन और 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन प्रोडक्शन का लक्ष्य है। इस मिशन से सालाना 150 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि इससे आयात में भी काफी बचत होगी। 

6 लाख नौकरियां सृजित करने की कैपेसिटी

ऊर्जा मंत्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी के अनुसार, लक्ष्य है कि भारत हरित हाइड्रोजन के उभरते सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो सके। इससे ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के साथ देश का आर्थिक विकास होगा। मिशन में 8 लाख करोड़ का निवेश होगा। पूरे प्रोग्राम में 6 लाख नौकरियां सृजित करने की कैपेसिटी है। देश की आयातित प्राकृतिक गैस और अमोनिया पर डिपेंडेंसी में भी कमी आएगी। 1 लाख करोड़ रुपये बचेंगे। 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 5 एमएमटी तक कम करने का प्रयास है।

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