रामलला से पहले श्री हरि विष्णु और भगवान शिव का तिलक करते हैं सूर्यदेव, जाने कहां-कहां हैं ये 8 मंदिर

By Surya Prakash TripathiFirst Published Apr 17, 2024, 4:15 PM IST
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पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चार और शंखनाद के मध्य भगवान राम का सूर्य तिलक भव्य तरीके से हुआ। क्या आप जानते हैं कि यूपी मे भले ही यह पहली बार हुआ हो लेकिन देश के अलग-अलग ऐसे 8 मंदिर हैं, जहां स्थापित देवताओं का सूर्य तिलक (Surya Tilak) होता है। 

Ramlala Surya Tilak: अयोध्या में विराजमान रामलला के मस्तक पर रामनवमी के अवसर पर वैज्ञानिक दर्पण (Scientific Mirror) के जरिए सूर्य की किरणों तिलक किया। रामलला के मस्तक पर जैसे ही सूर्य की किरणों ने तिलक लगाया, पूरी मूर्ति में एक अद्भुत तेज प्रकट हो गया। करीब 4 मिनट तक रामलला के ललाट पर तिलक के रूप में सूर्य की किरणों ने शोभा बढ़ाया। पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चार और शंखनाद के मध्य भगवान राम का सूर्य तिलक भव्य तरीके से हुआ। क्या आप जानते हैं कि यूपी मे भले ही यह पहली बार हुआ हो लेकिन देश के अलग-अलग ऐसे 8 मंदिर हैं, जहां स्थापित देवताओं का सूर्य तिलक (Surya Tilak) होता है। 

Preparations for the Surya Tilak Mahotsav to be held on Ram Navami in Shri Ayodhya Dham have been completed. On April 17, during the Ram Navami festivities, Suryadev (the Sun god) will grace the forehead of Ramlala with tilak for approximately 4 minutes. pic.twitter.com/BTFpr1zxyn

— DD News (@DDNewslive)

 

पुजारी ने बताया कि कैसा रहा रामलला के Surya Tilak का क्षण?
Surya Tilak: श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि वैज्ञानिकों का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय और अद्भुत है। सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट जैसे ही पड़ी, वैसे ही पता चला कि सूर्यादय हो गया। त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता का वह दृश्य अब कलयुग में साकार हो रहा है।

देश के किन-किन मंदिरों में भी होता है Surya Tilak?

  1. तमिलनाडु का सुरियानार कोविल मंदिर: 11-12वीं शताब्दी का यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है।
  2. आंध्र प्रदेश का नानारायणस्वामी मंदिर: नानारायणस्वामी मंदिर में 5 दिन सूर्य पूजा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यहां सूर्य की किरणे भगवान की मूर्ति के पैरों से लेकर नाभि कत जाती हैं।
  3. गुजरात का कोबा जैन मंदिर: अहमदाबाद के कोबा जैन मंदिर में प्रतिवर्ष सूर्याभिषेक होता है। दोपहर में 2.07 बजे तीन मिनट के लिए सूर्य की किरणें सीधे भगवान महावीरस्वामी के माथे पर पड़ती हैं।
  4. मध्य प्रदेश के उनाव बालाजी सूर्य मंदिर: दतिया में स्थित इस मंदिर में सूर्य मंदिर में प्रतिवर्ष एक उत्सव होता है। जहां भोर में सूर्य की पहली किरणें सीधे मंदिर के गर्भगृह में स्थित मूर्ति पर पड़ती हैं।
  5. गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर: 11वीं सदी के मोढेरा सूर्य मंदिर में एक ऐसी ही अनोखी घटना देखने को मिलती है, जहां साल में 2 बार सूर्य की किरणें सूर्य भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं।
  6. ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर: 13वीं सदी के सूर्यमंदिर की डिज़ाइन ऐसी है कि सूर्य की पहली किरणें मंदिर के मुख्य द्वार को छूएं, फिर इसके विभिन्न द्वारों से छनकर अंदर 'गर्भगृह' पर प्रकाश डालें।
  7. राजस्थान का रणकपुर जैन मंदिर: अरावली में 15वीं सदी का रणकपुर मंदिर सफेद संगमरमर से बना है। जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सूर्य की रोशनी गर्भगृह में प्रवेश कर सके।
  8. कर्नाटक का गवि गंगाधरेश्वर मंदिर: बेंगलुरु के पास स्थित इस शिव मंदिर में मकर संक्रांति पर सूर्य की किरणें नंदी पर, फिर शिवलिंग के चरणों तक पहुंचते हुए अंत में पूरी प्रतिमा को ढक लेती हैं।

श्री राम नवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

Divya Abhisheka of Prabhu Shri Ramlalla Sarkar at Shri Ram Janmabhoomi Mandir, on the pious ocassion of Shri Ram Navami. pic.twitter.com/U4HaE5yFyg

— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth)

 

कैसे हो रहा है सूर्य तिलक? (Surya Tilak)
CSIR केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की की टीम ने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर के परामर्श से मंदिर की तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक सूर्य के प्रकाश को पहुंचाने के लिए एक तंत्र विकसित किया है। गर्भगृह में सूर्य की रोशनी लाने के लिए विस्तृत संपूर्ण डिज़ाइन CBRI द्वारा विकसित किया गया है। 


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