Shri Ram Navami: मर्यादा में जीने की कला सिखाते हैं कौशिल्यानंदन राम
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Shri Ram Navami: मर्यादा में जीने की कला सिखाते हैं कौशिल्यानंदन राम

इन 10 सद्गुणों को अपना कर देखिए, बदल जाएगा जीवन
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इन 10 सद्गुणों को अपना कर देखिए, बदल जाएगा जीवन

चैत्र नवरात्रि की नवमी यानि भगवान राम का जन्मदिन। आज राम विदेशों में भी वंदनीय, अभिनंदनीय एवं अनुकरणीय हैं। उनके इन 10 सद्गुणों   से जीवन में चौंकाने वाला परिवर्तन लाया जा सकता है।

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1. मर्यादा में रहने का सीखे तरीका
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1. मर्यादा में रहने का सीखे तरीका

अयोध्या में जन्मे श्रीराम ने अपना पूरा जीवन मर्यादा में रहकर व्यतीत किया, इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। उनके चरित्र की विशेषताएं आज भी आदर्श बनाती हैं।

 

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2. परिवार व समाज में स्थापित करें आदर्श
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2. परिवार व समाज में स्थापित करें आदर्श

कौशिल्या नंदन विष्णु का 7वां अवतार कहा जाता है। एक आदर्श मनुष्य, बेटा, भाई और पति के साथ कुशल शासक कहे जाने वाले भगवान राम के शासन काल को रामराज्य कहा जाता है। 

 

 

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3. कठिन समय में अपनाएं राम के ये गुण

भगवान श्री राम में गजब की सहनशीलता और धैर्य था। कैकेयी की आज्ञा पर 14 वर्ष का वनवास, समुद्र पर सेतु तैयार करने के लिए तपस्या, राजा होते हुए भी संन्यासी जीवन व्यतीत किया।

 

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4. विपत्ति के समय श्री राम के इस निर्णय का रखें ध्यान

रावण के माता सीता के अपहरण के बाद भी उन्होंने संयम से काम लेते हुए सही समय की प्रतीक्षा की। राजा राम की ऐसी सहनशीलता आज भी हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए।
 

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5. हर वर्ग को लेकर चलें ऐसे साथ

श्री राम ने सुग्रीव, हनुमानजी, केवट, निषादराज, जाम्बवंत और विभीषण के प्रति दया भाव दिखाई। राजा होते हुए भी उन्होंने इन लोगों को समय-समय पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया।
 

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6. ऐसे विकसित करें अपने अंदर नेतृत्व क्षमता

भगवान राम राजा होने के साथ-साथ एक कुशल प्रबंधक भी थे। वो सभी को साथ लेकर चलने में यकीन रखते थे। बेहतर नेतृत्व क्षमता की वजह से ही लंका जाने के लिए पत्थरों का सेतु बन पाया था।

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7. बड़ी से बड़ी जंग जीतने के लिए जरूरी है ये काम

भगवान राम ने सामान्य लोगों को जोड़कर ऐसी ताकत का निर्माण किया था, जिससे रावण जैसे शक्तिशाली शासक को पराजित होना पड़ा। भगवान राम ने लोगों को संगठन में ताकत की सीख दी।
 

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8. जीवन में परिवार के साथ इनकी भी करिए कद्र

भगवान राम ने हर जाति, हर वर्ग के व्यक्तियों के साथ मित्रता की। केवट हो या सुग्रीव या विभीषण सभी मित्रों के लिए कई बार संकट झेले और अपनी सच्ची मित्रता का परिचय दिया।

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9. भाई का फर्ज निभाने के लिए अपनाए ये सीख

लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न के प्रति उनके प्रेम,त्याग और समर्पण के कारण ही उन्हें आदर्श भाई कहा जाता है। भगवान राम  सभी भाइयों के साथ एक समान व्यवहार करते थे।

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10. पारिवारिक एकता के लिए क्या है जरूरी

वनगमन के दौरान लक्ष्मण उनके साथ गए। भरत ने राजपाट मिलने के बावजूद सिंहासन पर उनकी चरण पादुका रख जनता की सेवा की। ये पारिवारिक एकता की मिशाल है।

 

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