mynation_hindi

RHUMI-1: भारत का पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च, खासियत जान गर्व से चौड़ा हो जाएगा सीना

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Aug 24, 2024, 12:41 PM IST
RHUMI-1: भारत का पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च, खासियत जान गर्व से चौड़ा हो जाएगा सीना

सार

भारत के पहले पुन: प्रयोज्य हाइब्रिड रॉकेट 'RHUMI-1' को स्पेस ज़ोन इंडिया ने चेन्नई से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह रॉकेट 50 PICO और 3 क्यूब सेटेलाइट के साथ 35 किमी की ऊंचाई तक पहुंचा, जो दक्षता और ऑपरेशनल कास्ट में सुधार के लिए हाइब्रिड मोटर का यूज करता है।

नई दिल्ली। भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शनिवार को अपने पहले रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट 'RHUMI-1' का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस ज़ोन इंडिया द्वारा मार्टिन ग्रुप के सहयोग से विकसित इस रॉकेट को चेन्नई से लॉन्च किया गया। यह प्रक्षेपण एक मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करके किया गया था, जिसमें 50 PICO उपग्रह और तीन क्यूब सेटेलाईट शामिल थे।

RHUMI-1 रॉकेट की है कितनी ऊंचाई?
स्पेस ज़ोन इंडिया के संस्थापक और CEO आनंद मेगालिंगम ने बताया कि 3.5 मीटर ऊंचाई वाले इस रॉकेट को लगभग 7:25 बजे लॉन्च किया गया, जो कि पहले से निर्धारित 7 बजे के समय से थोड़ा देरी से हुआ। उन्होंने बताया, "यह एक ध्वनि रॉकेट है जिसने लगभग 35 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरी। हमारी टीम वर्तमान में रॉकेट की पुनर्प्राप्ति के लिए वहां मौजूद है, क्योंकि यह एक पुन: प्रयोज्य रॉकेट है।"

RHUMI-1 में होता है किस ईंधन का यूज?
मेगालिंगम ने लॉन्च की बारीकियों के बारे में बताते हुए कहा कि भारी हवा और झोंकों के कारण रॉकेट को 89 डिग्री की बजाय 70 डिग्री के झुकाव पर लॉन्च किया गया था। इसरो सैटेलाइट सेंटर (ISAC) के पूर्व निदेशक डॉ. मायलस्वामी अन्नादुराई ने स्पेस ज़ोन इंडिया के संस्थापक आनंद मेगालिंगम को इस मिशन के संचालन में गाइडलाइन दिया। RHUMI-1 रॉकेट की विशेषता है कि यह आतिशबाजी से मुक्त है और इसमें TNT का उपयोग नहीं होता। रॉकेट एक हाइब्रिड मोटर द्वारा संचालित है, जो जेनेरिक ईंधन का यूज करती है और इसमें एक इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक्टिव पैराशूट डिप्लॉयर भी है।

रॉकेट की विशेषताएं और भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
RHUMI-1 का हाइब्रिड डिज़ाइन ठोस प्रणोदक और तरल ऑक्सीडाइज़र का संयोजन है, जिससे आकस्मिक विस्फोट का जोखिम कम होता है। रॉकेट ने दक्षता बढ़ाने और परिचालन लागत को कम करने के लिए इस संयोजन का उपयोग किया। पहले प्रक्षेपण के प्रयास में, फरवरी 2023 में, पैराशूट तैनाती की समस्या के कारण रॉकेट समुद्र में गिर गया और रियूजबेल योजना असंभव हो गई। इस बार, टीम ने कई टाइमर जोड़कर ऐसी घटनाओं को रोकने की तैयारी की थी।

RHUMI-1 रॉकेट लांच करने वाली टीम की क्या हैं योजनाएं?
स्पेस ज़ोन इंडिया की भविष्य की योजनाओं में 500 किलोग्राम तक की पेलोड क्षमता वाले 2-स्टेप वाले रॉकेट विकसित करना और संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तान में फ्यूचर के प्रक्षेपण की संभावनाएं तलाशना शामिल है। यह सफल लॉन्च न केवल भारत के लिए बल्कि ग्लोबल लेबल पर स्पेस टेक्नोलॉजी में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है।

 


ये भी पढ़ें...
क्या है भीष्म क्यूब्स? पीएम मोदी ने यूक्रेन को दिया यह खास गिफ्ट, जानें कैसे करता है काम

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

देवऋषि ने शुरू की 'सदानीरा' पहल: भारत की नदियों के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संरक्षण की मुहिम
Real-Life Hero: साड़ी ने बचाई 150 जिंदगियां! जानिए 70 साल की इस महिला की अविश्वसनीय कहानी