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क्या भारत 2025 में निवेश का ग्लोबल हब बन जाएगा? गोल्डमैन सैक्स ने दिए संकेत

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jan 06, 2025, 10:30 PM ISTUpdated : Jan 06, 2025, 10:32 PM IST
क्या भारत 2025 में निवेश का ग्लोबल हब बन जाएगा? गोल्डमैन सैक्स ने दिए संकेत

सार

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट भारत के अच्छे भविष्य की ओर संकेत करती है। निवेशकों के लिए देश 2025 तक एक प्रमुख हब बन सकता है। मजबूत आर्थिक स्थिरता, मुद्रास्फीति नियंत्रण, और निजी निवेश में वृद्धि जैसे कारक भारत को वैश्विक निवेश मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाएंगे।

India Market: भारत की इकोनॉमी और निवेश संभावनाएं आज ग्लोबल लेबल पर चर्चा का विषय हैं। अमेरिकन मल्टीनेशनल इन्वेस्टमेंट बैंक और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने भारत को लेकर एक सकारात्मक भविष्यवाणी की है। उसकी रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 तक उभरते बाजारों में सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन करने वाला देश बन सकता है।

भारत: उभरता हुआ निवेश हब

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में भारत को ग्लोबल निवेश का केंद्र बनने की संभावना जताई गई है। इसका प्रमुख कारण देश की मजबूत आर्थिक स्थिरता, प्रभावी मुद्रास्फीति लक्ष्य और डोमेस्टिक रिस्क कैपिटल है। रिपोर्ट में भारत में अगले 4-5 वर्षों में 18-20% वार्षिक आय वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह वृद्धि निजी पूंजीगत व्यय चक्र और कॉर्पोरेट बैलेंस शीट री-लीवरेजिंग की वजह से संभव होगी। भारत के निवेश प्रीमियम वैल्यूएशन गुणक इसके स्थायित्व को सही ठहराते हैं।

ग्लोबल फैक्टर्स का प्रभाव

हालांकि भारत का घरेलू बाजार मजबूत है, लेकिन ग्लोबल कारकों का प्रभाव जारी रहेगा। 
अमेरिका और चीन की नीतियां व्यापार और वित्तीय स्थिरता पर असर डाल सकती हैं।
भू-राजनीतिक घटनाक्रम भारतीय बाजार के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारक बना रहेगा।

मजबूत होगी भारत की मैक्रो स्थिरता

गोल्डमैन सैक्स को विश्वास है कि भारत की मैक्रो स्थिरता मजबूत होगी। सरकारी खर्च और निजी निवेश में वृद्धि से स्थायित्व आएगा। वित्तीय वर्ष 2027 तक सेंसेक्स की सालाना इनकम में 17.3 फीसदी से वृद्धि का अनुमान है। गोल्डमैन साइक्लिकल सेक्टर्स को प्राथमिकता देता है। बड़े कैप के बजाय एसएमआईडी कैप पर फोकस करता है।

2025 में क्या है संभावनाएं?

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2025-2030 के बीच भारत की एवरेज इकोनॉमी ग्रोथ रेट  6.5 प्रतिशत तक रह सकती है। मुद्रास्फीति दर भी साल 2025 तक औसतन 4.2 फीसदी तक रह सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति दर के 4.6 प्रतिशत के करीब रहने की संभावना जताई है। जो साल 2024 के 7 प्रतिशत के अनुमान से काफी कम है।

क्या हैं संभावित चुनौतियां?

मौसम संबंधी बाधाएं फूड सप्लाई पर प्रभाव डाल सकती हैं। 
सब्जियों की कीमतों में अस्थिरता आरबीआई की नीतियों पर असर डाल सकती है। 
वैश्विक बाजार की अस्थिरता भारत की आर्थिक स्थिरता को चुनौती दे सकती है।

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