भारत की इस मुहिम से हिला चीन, 'ग्लोबल साउथ' को मिलेगी राहत

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Oct 9, 2024, 11:13 PM IST

भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ को कर्ज मुक्त करने के लिए कदम उठाने आह्वान किया है, जिससे चीन की कर्ज जाल नीति को सीधी चुनौती मिली है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने वित्तीय सुधारों और सतत विकास पर जोर दिया है, जिससे इन देशों को स्थिरता मिल सके।

नई दिल्ली। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने कूटनीतिक और आर्थिक प्रयासों से ग्लोबल लेवल पर एक मजबूत स्थिति बनाई है। खासकर जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता दिलाने में सफलता ने भारत के नेतृत्व को वैश्विक मान्यता दिलाई है। भारत अब विकासशील देशों खासकर 'ग्लोबल साउथ' के देशों की आवाज बन चुका है, जो इकोनॉमिक और सोशल डेवलपमेंट में अड़चनों का सामना कर रहे हैं।

'ग्लोबल साउथ' के देशों को कर्ज के जाल से बचाने का आह्वान

अब भारत ने साफ कहा है कि 'ग्लोबल साउथ' के देशों को कर्ज के नए जाल में फंसने से रोकना बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि यह जाल मुख्य रूप से चीन द्वारा फैलाया जाता रहा है, जो विकासशील देशों को भारी कर्ज देकर उन्हें अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करता है। भारत अब वैश्विक वित्तीय संरचना में सुधार की मांग कर रहा है ताकि इन देशों को किफायती वित्तीय सहायता मिल सके और उन्हें किसी भी तरह के कर्ज जाल से बचाया जा सके। ग्लोबल साउथ के देशों का भारत के प्रति जिस तरह से भरोसा बढ़ा है। उसे देखकर चीन के होश उड़ रहे हैं।

चीन की चालाकी को भारत की चुनौती

चीन का 'बेल्ट एंड रोड' इनिशिएटिव (BRI) उसके कर्ज जाल की नीति का एक स्पष्ट उदाहरण है। इस परियोजना के तहत चीन ने कई एशियाई और अफ्रीकी देशों को भारी कर्ज देकर उन्हें आर्थिक और राजनीतिक रूप से नियंत्रित करने का प्रयास किया। लेकिन अब भारत की नई नीतियों और वैश्विक नेतृत्व से चीन की इस नीति को सीधी चुनौती मिल रही है।

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहीं ये बड़ी बातें

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कर्ज स्थिरता और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में हो रहे प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे वैश्विक वित्तीय असमानताएँ विकासशील देशों के विकास में रुकावट डाल रही हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि 'ग्लोबल साउथ' के देशों को कर्ज जाल से बचाने के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है। ताकि कोई भी देश वित्तीय अस्थिरता का शिकार न हो।

समाज के निर्माण में वुमन और यूथ की भूमिका अहम

पी. हरीश ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि बेहतरीन समाज के निर्माण में महिलाओं और युवाओं की भूमिका बेहद अहम है। समाज के इन वर्गों को सशक्त किए बिना किसी भी देश की स्थिरता और विकास संभव नहीं है। भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने के कई प्रयास किए हैं। 

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