1974 में पहली बार खेला गया ये खेल...अब वर्ल्ड कप की मेजबानी करने जा रहा भारत

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Oct 3, 2024, 8:27 PM IST
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1974 में पहली बार आधिकारिक तौर पर खेला गया खो-खो अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकने को तैयार है। भारत 2025 में खो-खो विश्व कप की मेजबानी करेगा, जिसमें 24 देश हिस्सा लेंगे।

नई दिल्ली। खो-खो खेल, जो मिट्टी से शुरू हुआ और अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल कर रहा है। 1974 में पहली बार देश में आधिकारिक तौर पर खेला गया। अब 2025 में ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर चमकने को तैयार है। भारत अगले साल खो-खो विश्व कप की मेजबानी करने जा रहा है, जिसमें 24 देश हिस्सा लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय खो-खो फेडरेशन के सहयोग से भारतीय खो-खो महासंघ इस खेल का आयोजन करेगा।

भारत से जुड़ी हैं खो-खो की जड़ें

खो-खो की जड़ें भारत में प्राचीन काल से ही जुड़ी हैं। इसे एक पारंपरिक भारतीय खेल माना जाता है, जो मूल रूप से खुले मैदान में खेला जाता था। खेल की शुरुआत मिट्टी पर होती थी, जहां खिलाड़ी अपनी चुस्ती—फुर्ती दिखाते थे। 1974 में खो-खो का पहला आधिकारिक टूर्नामेंट आयोजित हुआ, और तभी से यह खेल भारतीयों के दिलों में अपनी जगह बनाने लगा। धीरे-धीरे, खेल की लोकप्रियता बढ़ी और इसे स्कूलों और कॉलेजों के खेल आयोजनों में शामिल किया जाने लगा।

6 महाद्वीपों के 24 देश होंगे शामिल

समय के साथ, खो-खो का आधुनिकरण हुआ और अब यह मिट्टी की बजाय मैट पर खेला जाने लगा है। यह खेल अब सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बल्कि शहरों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। 2025 में भारत में पहली बार खो-खो विश्व कप का आयोजन होगा। जिसमें 6 महाद्वीपों के 24 देश हिस्सा लेंगे, पुरुष और महिला दोनों वर्गों की 16-16 टीमें शामिल होंगी।

विश्व कप से पहले 50 लाख नए खिलाड़ियों का रजिस्ट्रेशन

खो-खो अब केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। 54 देशों में इस खेल की लोकप्रियता बढ़ चुकी है, और यह विश्व कप इसका सबूत है। इस आयोजन से खेल को वैश्विक मंच पर और भी अधिक पहचान मिलेगी, जो खो-खो के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय खो-खो महासंघ (KKFI) और अंतर्राष्ट्रीय खो-खो फेडरेशन (IKKF) के सहयोग से इस आयोजन की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके तहत भारत के 10 शहरों के 200 एलीट स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने की योजना है, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को इस खेल से जोड़ा जा सके। साथ ही, महासंघ का उद्देश्य 50 लाख नए खिलाड़ियों को विश्व कप से पहले रजिस्टर्ड करना है।

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