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भोपाल: एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद का शहर, जानें क्या है खास

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Oct 02, 2024, 09:04 PM IST
भोपाल: एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद का शहर, जानें क्या है खास

सार

भोपाल की समृद्ध इस्लामी विरासत के बारे में जानें, जहां 600 से अधिक मस्जिदें हैं, जिनमें एशिया की सबसे बड़ी और सबसे छोटी मस्जिदें भी शामिल हैं। ताजुल मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व और "ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद" की दिलचस्प कहानी के बारे में जानें।

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को झीलों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। यह देश के सबसे हरे भरे शहरों में शामिल है। क्या आप जानते हैं कि भोपाल में एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद भी है, जो कई मायनों में खास है और देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

शहर मे हैं 600 से ज्यादा मस्जिदें

जानकारी के मुताबिक, भोपाल में मस्जिदों की संख्या 602 है। उनमें 15 ऐतिहासिक मस्जिदे हैं। शाही औकाफ उनकी जिम्मेदारी उठाता है। बाकि मस्जिदों के रख रखाव की जिम्मेदारी औकाफे आम्मा की है। जानकारों के मुताबिक, मस्जिदों की संख्या का यह आंकड़ा वह है, जो रिकॉर्ड में दर्ज है, इनके अलावा तमाम ऐसी मस्जिदे भी हैं, जिनकी संख्या की जानकारी नहीं है। निजी संस्थाएं उनकी देखरेख करती हैं।

ताजुल: एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद

भोपाल में स्थित ताजुल मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसका निर्माण शाहजांह बेगम (1844-1901) ने शुरू कराया था, जो उनके जीवन काल में पूरा नहीं हो सका। उनकी मौत के बाद बेटी सुल्तान जहां बेगम ने यह काम आगे बढ़ाया। पैसों की कमी की वजह से कुछ समय तक मस्जिद का निर्माण रूका भी रहा। साल 1971 में एक बार फिर मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ, जिसमें भोपाल के मौलाना मोहम्मद इमरान खान नदवी और मौलाना सैयद हशमत अली साहब का अहम योगदान था। आखिरकार 1985 में मध्य प्रदेश शासन का सहयोग मिला और तब जाकर मस्जिद का निर्माण पूरा हुआ।

इस्लामी और मुगल शैली में बनी है मस्जिद

इस्लामी और मुगल शैली में निर्मित इस मस्जिद पर तीन गुंबद और दो बड़ी मीनार बनाए गए हैं। आसपास बड़ा मैदान है और वजू के लिए तीन तालाब नुमा वुजू खाने हैं। मस्जिद के तीन गुंबद संगमरमर से बने हैं, जो इसे अट्रैक्टिव बनाते हैं।

कहां है एशिया की सबसे छोटी मस्जिद?

एशिया की सबसे छोटी मस्जिद हमी​दिया अस्पताल परिसर में है। ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद के नाम से मशहूर है। इसे शहर की पहली मस्जिद बताया जाता है। दरअसल, भोपाल के किले फतहगढ़ की पहरेदारी करने वाले सिक्योरिटी पर्सन के लिए यह मस्जिद बनाई गई थी। इसमें एक बार में 5 से 7 लोग नमाज अदा कर सकते हैं।

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