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Narayanan Vaghul: ये लीजेंड्री बैंकर है देश की इस सबसे बड़ी बैंक का Founder-राजीव गांधी ने सौंपी थी जिसकी कमान

Surya Prakash Tripathi |  
Published : May 18, 2024, 06:35 PM ISTUpdated : May 18, 2024, 06:38 PM IST
Narayanan Vaghul: ये लीजेंड्री बैंकर है देश की इस सबसे बड़ी बैंक का Founder-राजीव गांधी ने सौंपी थी जिसकी कमान

सार

ICICI Bank: भारत के लिजेंड्री बैंकर नारायणन वाघुल का 18 मई 2024 को एक अस्पताल में निधन हो गया। वर्ष 2009 में पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्त करने वाले दिग्गज भारतीय बैंकर नारायणन वाघुल चेन्नई के अपोलो अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी हालत गंभीर थी।

ICICI Bank: भारत के लिजेंड्री बैंकर नारायणन वाघुल का 18 मई 2024 को एक अस्पताल में निधन हो गया। वर्ष 2009 में पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्त करने वाले दिग्गज भारतीय बैंकर नारायणन वाघुल चेन्नई के अपोलो अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी हालत गंभीर थी। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने FinancialExpress.com के ई कुमार शर्मा को बताया कि आज दोपहर 12:38 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा उन्हें भीष्म पितामह कहते थे।

ICICI Bank: वाघुल को 39 की उम्र में  सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में मिला था अहम पद
चेन्नई के साउथ कैनाल बैंक रोड स्थित मेजेनाइन हॉल, बोनवेंटुरा अपार्टमेंट में उनके निवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शव को ले जाया गया है। उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी हैं। नारायणन वाघुल 1981 में 44 वर्ष की आयु में बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने वाले सबसे कम उम्र के बैंक प्रमुख थे। 88 वर्षीय नारायणन वाघुल ने अपना करियर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से शुरू किया था। जब वे 39 वर्ष के थे, तब वे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बन गए थे।

ICICI Bank:  राजीव गांधी की सरकार में सौंपा गया था ICICI का जिम्मा 
नारायणन वाघुल की प्रतिभा के बारे में पता चलने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें ICICI में भर्ती करा दिया। 2023 में नारायणन वाघुल ने अपना संस्मरण ‘रिफ्लेक्शंस’ जारी किया था, जिसमें भारत के वित्तीय क्षेत्र में कई दशकों के उनके अनुभवों काे विस्तार से लिखा है। उनकी किताब में कहानी कहने का एक बहुत ही ताज़ा तरीका है- उनके सहयोगियों, राजनेताओं, नौकरशाहों और ग्राहकों के बारे में किस्से-कहानियों की एक श्रृंखला। नारायणन वाघुल हमेशा विनम्र रहे हैं और यह किताब की प्रस्तावना से ही स्पष्ट है।

ICICI Bank: 8 भाई-बहनों में दूसरे नंबर के थे वाघुल
नारायणन वाघुल (जन्म 1936) भारत के एक परोपकारी और पूर्व बैंकर पेशेवर हैं। दक्षिण भारत के एक सुदूर गांव में जन्मे वाघुल 8 भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण स्कूल में पढ़ाई की और 1950 के दशक के अंत में मद्रास विश्वविद्यालय के लोयोला कॉलेज से ग्रेजुएट किया था। नारायणन भारतीय स्टेट बैंक में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुए। 1960 के दशक में मुंबई  जाने से पहले उन्होंने त्रिची और चेन्नई में भारतीय स्टेट बैंक की ब्रांचों में काम किया।

ICICI Bank: ICICI को बैंक बनाने में निभाई थी अहम भूमिका 
नारायणन वाघुल ने भारतीय स्टेट बैंक से इस्तीफा देकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट (NIBM) में एक शिक्षण पद संभाला। दो साल के भीतर वे इसके निदेशक बन गए। 1985 में उन्हें तत्कालीन इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ICICI) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया, जो वित्तीय संस्थान अब ICICI बैंक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने ICICI को सार्वजनिक वित्तीय संस्थान से भारत के सबसे बड़े निजी बैंक में बदल दिया। उन्होंने 1996 में अपना पद छोड़ दिया था। साल 2009 तक बोर्ड में नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बने रहे।

ICICI Bank: मिला था कॉर्पोरेट उत्प्रेरक - फोर्ब्स परोपकार पुरस्कार
नारायण को 1991 में 'बिजनेस इंडिया' द्वारा बिजनेस मैन ऑफ द ईयर अवार्ड, टाइम्स प्रकाशन द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, द इकोनॉमिक टाइम्स लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। नारायण भारत के एक गैर सरकारी संगठन, गिव इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। नारायण को परोपकार के कार्यों में सक्रिय भागीदारी और सहायता के लिए 2012 में कॉर्पोरेट उत्प्रेरक - फोर्ब्स परोपकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


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