13 बिलियन नहीं, कम लागत में देसी AI मॉडल बनाएगा भारत, अमेरिका के अपमान का देगा करारा जवाब

भारत जल्द ही अपना स्वदेशी AI मॉडल लॉन्च करेगा, जो कम लागत में विकसित किया जाएगा। यह अमेरिकी टेक वर्चस्व को चुनौती देगा और भारतीय भाषाओं के लिए ज्यादा अनुकूल होगा। जानें पूरी खबर।

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नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में भारत अब अपनी खुद की पहचान बनाने को तैयार है। अमेरिकी टेक कंपनी ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन के "भारत AI नहीं बना सकता" वाले बयान के बाद, भारत सरकार ने अपने स्वदेशी AI मॉडल पर काम शुरू कर दिया है। यह AI मॉडल कम लागत में तैयार होगा। सरकार ने साफ किया है कि आने वाले 10 महीनों में देसी लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल तैयार हो जाएगा।

सैम ऑल्टमैन ने दिया था ये बयान

जब OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन भारत आए, तो उन्होंने कहा था कि भारत जैसे देश के लिए OpenAI या चैटजीपीटी जैसा AI टूल बनाना असंभव होगा। उनका दावा था कि इस तरह की टेक्नोलॉजी को डेवलप करने में अरबों डॉलर खर्च होते हैं और भारत के पास उतनी फाइनेंशियल और टेक्नोलॉजी कैपेसिटी नहीं है। लेकिन उनके इस गुरुर को चीन ने DeepSeek AI मॉडल बनाकर तोड़ दिया और यह साबित भी कर दिया कि AI बनाने के लिए अरबों डॉलर खर्च करना जरूरी नहीं है। अब भारत ने भी ऐलान किया है कि अगले 10 महीनों में अपना स्वदेशी AI मॉडल तैयार कर लेगा, जो इंडियन लैंग्वेज के लिए अधिक यूजफूल होगा।

चीन ने DeepSeek से बदला AI गेम

अमेरिका AI टेक्नोलॉजी में सबसे आगे रहा है, लेकिन चीन ने DeepSeek AI बनाकर यह साबित कर दिया कि कम लागत में भी एडवांस AI मॉडल बनाए जा सकते हैं। चीन ने यह मॉडल सिर्फ 5 मिलियन डॉलर में बना दिया, जबकि OpenAI के चैटजीपीटी को Microsoft ने 13 बिलियन डॉलर की फंडिंग दी थी। DeepSeek पर अमेरिकी बैन के बावजूद चीन ने पुराने चिप्स का यूज कर AI मॉडल बनाया। 

अब भारत अमेरिका को देगा बड़ा जवाब

चीन के DeepSeek मॉडल के बाद भारत ने भी ऐलान कर दिया है कि वह जल्द ही अपना स्वदेशी AI मॉडल बनाएगा। DRDO के अधिकारियों ने कहा है कि AI के लिए अरबों डॉलर खर्च करने की जरूरत नहीं है। भारत अपने मौजूदा संसाधनों का यूज करके ही एक मजबूत AI मॉडल तैयार करेगा, जो लोकल लैंग्वेज को सपोर्ट करेगा, ऐसा चैटजीपीटी और अन्य विदेशी AI में नहीं मिलता।

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