सेना-वायुसेना की गति शक्ति से साझेदारी: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ी छलांग

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 9, 2024, 7:46 PM IST

भारतीय सेना और वायुसेना ने रक्षा मंत्री और रेल मंत्री की उपस्थिति में लॉजिस्टिक्स संचालन में दक्षता बढ़ाने के लिए गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह लॉजिस्टिक्स में विश्वस्तरीय कौशल विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नयी दिल्ली। भारत की मिट्टी में जन्मा हर सैनिक देश की सुरक्षा के लिए समर्पित होता है। उनके कंधों पर न केवल हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है, बल्कि वे हर मुश्किल घड़ी में देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं। इन्हीं वीर जवानों की क्षमता को और अधिक मजबूती देने के लिए, भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने 9 सितंबर, 2024 को एक ऐतिहासिक कदम उठाया। गति शक्ति विश्वविद्यालय, वडोदरा के साथ एमओयू साइन किया। यह समझौता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में हुआ, जो न केवल भारतीय सेनाओं की लॉजिस्टिक्स कैपेसिटी को और मजबूत बनाएगा, बल्कि राष्ट्रीय विकास योजनाओं पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 2021 और राष्ट्रीय रसद नीति 2022 में भी अहम भूमिका निभाएगा।

नया युग: सेनाओं की कैपेसिटी में बढ़ोत्तरी 

जब हमारे सैनिक सीमा पर दुश्मन के सामने डटकर खड़े होते हैं, तब उनके पीछे एक मजबूत रसद प्रणाली का होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यही रसद प्रणाली उनकी जान और जीत के बीच की कड़ी होती है। इस नई साझेदारी के माध्यम से, भारतीय सेना और वायुसेना अपने रसद संचालन को और अधिक कुशल बना पाएंगी।

सुरक्षा बलों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाला कदम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस समझौते को सेना की "रीढ़" को मजबूत करने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा, "यह सहयोग केवल रसद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारे बलों की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। यह अब केवल समर्थन नहीं, बल्कि हमारे सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।" यह वक्तव्य न केवल सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि हर उस भारतीय के दिल को छूता है, जो अपने देश के लिए अपने जवानों की ताकत और सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। 

सेना की जीत की आधारशिला होती है रसद

सैनिकों की सुरक्षा और युद्धक्षेत्र में उनकी सफलताएं कई बार इस पर निर्भर करती हैं कि उन्हें किस प्रकार की सहायता मिल रही है। यह नई साझेदारी हमारे जवानों के लिए युद्धक्षेत्र में तेजी से रसद जुटाने के साथ संसाधनों की व्यवस्थित आवाजाही तय करेगी। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमें आज की स्थिति को देखते हुए एक मजबूत और निर्बाध रसद प्रणाली की आवश्यकता है, ताकि हमारे सैनिक समय पर सही जगह पहुँच सकें और उन्हें आवश्यक सामग्री मिल सके।

आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक और कदम

उन्होंने कहा कि यदि हमें रसद में विशेषज्ञता की आवश्यकता है, तो हमें गति शक्ति विश्वविद्यालय जैसे अपने संसाधनों से इसका प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए, यदि हमें उपकरणों की जरूरत है तो हमें इसे भारत में ही निर्मित करना चाहिए। एक मजबूत भारत की नींव केवल आत्मनिर्भर बनकर ही रखी जा सकती है। 

मॉर्डन वॉर की गतिशील जरूरते होंगी पूरी

रक्षा मंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय, सशस्त्र बलों के लीडरशिप, मैनेजमेंट और आपरेशनल एक्सपीरियंस के जरिए लॉजिस्टिक्स एक्सपर्ट्स और मैनेजर्स की एक नई पीढ़ी को आकर देने में मदद करेगा, जो मॉडर्न वॉर की गतिशील जरूरतों को पूरा करेंगे। 

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