दुनिया भारतीयों के दिमाग का लोहा मानती है। ऐसे भारतीयों में अब एक और शख्स का नाम जुड़ गया है। वह शख्सियत हैं अशोक एलुस्वामी। वह कितने खास हैं। यह इसी से समझ सकते हैं कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने उनकी जमकर तारीफ की है।
नयी दिल्ली। दुनिया भारतीयों के दिमाग का लोहा मानती है। ऐसे भारतीयों में अब एक और शख्स का नाम जुड़ गया है। वह शख्सियत हैं अशोक एलुस्वामी। वह कितने खास हैं। यह इसी से समझ सकते हैं कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने उनकी जमकर तारीफ की है। उन्होंने टेस्ला के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर का श्रेय अशोक एलुस्वामी को दिया है, जो टेस्ला की ऑटोपायलट टीम में शामिल होने वाले पहले शख्स थे। एलुस्वामी ने भी 'एक्स' पर पोस्ट कर मस्क की तारीफ की थी।
एलन मस्क ने कहा?
एलन मस्क ने एक्स पर किए गए पोस्ट में दिल खोलकर एलुस्वामी की तारीफ की है। उन्होंने लिखा, ''धन्यवाद अशोक! वह टेस्ला की एआई/आटोपायलट टीम में शामिल होने वाले पहले शख्स थे। आखिरकार ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़े। उनके और टीम के बिना हम बस एक कार कंपनी होते। जिसको एक ऑटोनॉमी सप्लायर की तलाश होती और वह मौजूद नहीं है। वैसे मैंने कभी उनसे नहीं कहा कि वह ऐसा कुछ कहें।
Thanks Ashok!
Ashok was the first person to join the Tesla AI/Autopilot team and ultimately rose to lead all AI/Autopilot software.
Without him and our awesome team, we would just be another car company looking for an autonomy supplier that doesn’t exist.
Btw, I never… https://t.co/7eBfzu0Nci
अशोक एलुस्वामी ने क्या कहा?
अशोक एलुस्वामी ने अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए एलन मस्क की जमकर तारीफ की। वह लिखते हैं कि एलन मस्क टेस्ला में एआई के प्रमुख चालक रहे हैं। हमेशा महान चीजें हासिल करने को प्रेरित किया। ऐसी स्थिति में भी जब ऐसे विचार असंभव से लगते थे।
2015 में दुनिया का पहला ऑटोपायलट सिस्टम
एलुस्वामी आगे लिखते हैं कि 2014 में ऑटोपायलट की शुरुआत हुई। वह भी एक बेहद छोटे कंप्यूटर पर। कंप्यूटर के बारे में वह लिखते हैं कि उसमें सिर्फ ~384 केबी मेमोरी थी। यहां तक कि नेटिव फ्लोटिंग पॉइंट अंकगणित भी नहीं था। इंजीनियरिंग टीम से लेन कीपिंग, लेन चेंजिंग, लॉन्गिट्यूडिनल कंट्रोल फॉर व्हीकल, कर्वेचर आदि लागू करने की बात कही तो टीम को यह क्रेजी रिक्वेस्ट सा लगा। फिर भी एलन मस्क ने कभी हार नहीं मानी। बल्कि टीम को मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित करते रहे। आखिरकार टेस्ला ने साल 2015 में दुनिया का पहला ऑटोपायलट सिस्टम पेश किया।