नया इतिहास रचेंगी दो महिला अधिकारी: दुनिया का लगाएंगी चक्कर, तूफान-तेज लहरें-खराब मौसम, 40000 KM

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 24, 2024, 11:17 AM IST

दो महिला अधिकारी भारतीय नौसेना के 'नाविका सागर परिक्रमा II' अभियान के तहत दुनिया का चक्कर लगाने के लिए तैयार हैं। 02 अक्टूबर 2024 को गोवा से यह यात्रा शुरू होगी।

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ‘नाविका सागर परिक्रमा’ अभियान के दूसरे वर्जन के साथ दुनिया का चक्कर लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है। नारी शक्ति, आत्मनिर्भरता और साहस का प्रतीक यह अभियान 02 अक्टूबर 2024 को गोवा के आईएनएस मंडोवी से शुरू होगा। इस यात्रा में लगभग 21,600 समुद्री मील (लगभग 40,000 किलोमीटर) की दूरी तय की जाएगी। लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. इस चुनौतीपूर्ण अभियान पर रवाना होगी। इससे पहले किसी भी भारतीय महिला अधिकारी ने डबल हैंड मोड में ऐसी चुनौतीपूर्ण यात्रा पूरी नहीं की है।

पवन ऊर्जा पर डिपेंड रहेंगी 8 महीने 

यह अभियान आठ महीने की अवधि का होगा। यात्रा की सबसे खास बात यह है कि ये अधिकारी बिना किसी बाहरी सहायता के केवल पवन ऊर्जा पर निर्भर रहेंगी। यह यात्रा तीन प्रमुख केप-केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप-के खतरनाक रास्तों से होकर गुजरेगी। इन क्षेत्रों में समुद्री परिस्थितियाँ बहुत प्रतिकूल होती हैं, जो इस मिशन को और भी चैलेंजिंग बनाती हैं। 

2017 में हुई थी अभियान की शुरूआत

नाविका सागर परिक्रमा’ अभियान की शुरुआत 2017 में हुई थी, जब छह महिला अधिकारियों वाली टीम ने पूरी दुनिया का सफलतापूर्वक चक्कर लगाया था। उस अभियान ने नारी शक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया और यह साबित किया कि भारतीय महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। अब, इस दूसरे वर्जन में, दोनों महिला अधिकारी डबल हैंड मोड में इस चुनौती को स्वीकार कर रही हैं, जो भारत में पहली बार हो रहा है।

दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय थे कैप्टन दिलीप डोंडे

यात्रा के लिए दोनों महिला अधिकारियों को कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा। आधिकारिक संरक्षक के रूप में कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) और कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) ने अहम भूमिका निभाई। कैप्टन दिलीप डोंडे 2009-10 में दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय थे और कमांडर अभिलाष टॉमी ने 2022 में गोल्डन ग्लोब रेस को पूरा कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। यह दोनों रिटायर अधिकारी दोनों महिला अधिकारियों के ट्रेनिंग से जुड़े रहे हैं।

भविष्य की दिशा तय करेगा यह सफर

समुद्र की अप्रत्याशित और कठिन परिस्थितियां इस मिशन को और भी चैलेंजिंग बनाती हैं। तूफान, तेज लहरें, और विपरीत मौसम की स्थितियों का सामना करना एक बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन दोनों अधिकारी इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस मिशन के दौरान उनका आत्मविश्वास और धैर्य ही उनकी सबसे बड़ी ताकत होगी। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक दिशा भी तय करेगी। यह अभियान उन सभी महिलाओं को प्रेरित करेगा जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। 

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