दुश्मनों के लिए पाताल में भी जगह नहीं, डोभाल की फ्रांस से ये डील...सुनकर कांप जाएंगे चीन-पाक

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 23, 2024, 10:30 AM IST

अजित डोभाल का फ्रांस दौरा, जहां न्यूक्लियर अटैक सबमरीन और अंडरवाटर ड्रोन पर होंगे अहम समझौते। जानें कैसे यह डील भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगी और चीन-पाकिस्तान को कांपने पर मजबूर करेगी।

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत लगातार अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराता आ रहा है। मोदी सरकार अमेरिका से लेकर यूरोप तक की महाशक्तियों के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और नई ऊंचाइयों पर ले जाने में जुटी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और NSA अजित डोभाल भारत सरकार की इन्हीं कोशिशों को अमली जामा पहनाने का काम कर रहे हैं। रक्षा और रणनीतिक मामलों में कोई कोर-कसर न छोड़ने वाले NSA 30 सितंबर से 1 अक्टूबर 2024 तक फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह पेरिस में होने वाले इंडिया-फ्रांस स्ट्रैटेजिक डायलॉग में शामिल होंगे।

इन समझौतों पर लग सकती है अंतिम मुहर

अजित डोवाल के फ्रांस दौरे के दौरान न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, 110 किलो न्यूटन थ्रस्ट एयरक्राफ्ट इंजन और अंडरवाटर ड्रोन की खरीद और निर्माण से जुड़े अहम समझौतों पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है। जिसके बाद देश की डिफेंस कैपेसिटी में बड़ा इजाफा हो सकता है, जो चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश है।

फ्रांस प्रेसीडेंट मैक्रों से भी मुलाकात संभव

NSA अजित डोभाल की फ्रांस यात्रा का मकसद भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करना है। इस यात्रा के दौरान, डोभाल की फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी मुलाकात होने की संभावना है। इस मुलाकात में वे रक्षा सहयोग को नई दिशा देने और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। फ्रांस की मैक्रों सरकार इस क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी करने और सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत-फ्रांस प्रमुख डील: न्यूक्लियर अटैक सबमरीन और अंडरवाटर ड्रोन 

भारत और फ्रांस के बीच होने वाली इस डील में प्रमुख तौर पर न्यूक्लियर अटैक सबमरीन और अंडरवाटर ड्रोन हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ को देखते हुए, भारत को अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत करने की जरूरत महसूस हो रही है। न्यूक्लियर अटैक सबमरीन से भारत की समुद्री शक्ति में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होगी। यह सबमरीन दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर तेजी से कार्रवाई करने में भी सक्षम होगी।

दुश्मन की पनडुब्बियों की हो सकेगी निगरानी

अंडरवाटर ड्रोन टेक्नोलॉजी का यूज समुद्री सिक्योरिटी को और पुख्ता करने के लिए किया जाएगा। ये ड्रोन दुश्मन की पनडुब्बियों और अन्य जलपोतों की गतिविधियों की निगरानी कर सकेंगी। इसके अलावा, समुद्री रिसर्च में भी इनका यूज किया जा सकता है। यह ड्रोन अत्याधुनिक सेंसर और रिमोट कंट्रोल सिस्टम से लैस होते हैं, जिससे पानी के अंदर भी इनकी एक्टिविटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। राफेल फाइटर जेट के बाद, यह डील दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाएगी। फ्रांस, न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, एयरक्राफ्ट इंजन और अंडरवाटर ड्रोन निर्माण में तकनीकी सहयोग देगा। इससे भारत की आत्मनिर्भरता और स्वदेशी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की भी ताकत बढ़ेगी।

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