भारत की झोली में आया एक और मेडल, शूटर स्वप्निल ने दिलाया कांस्य पदक

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Aug 1, 2024, 9:32 PM IST
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पेरिस ओलंपिक्स में भारतीय शूटर स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। जानें कैसे स्वप्निल ने कठिन प्रतिस्पर्धा के बावजूद तीसरे पायदान पर पहुंचकर भारत को एक और मेडल दिलाया।

Paris Olympics: पेरिस ओलंपिक्स में भारत की झोली में एक और मेडल आया है। भारतीय शूटर स्वप्निल कुसाले (Swapnil Kusale) ने यह करिश्मा किया। 50 मीटर राइफल में कांस्य पद जीतकर देश का नाम रोशन किया। वह क्वालिफिकेशन में सातवें नंबर पर थे। पर 451.4 स्कोर के साथ फाइनल में अपनी जगह बनाई और तीसरा पायदान हासिल किया। स्वप्निल के पैरेंट्स ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अपने बेटे पर भरोसा था कि वह देश के लिए पदक जीतेगा। 

भारत के पास अब 3 कांस्य 

ओलंपिक में अब तक भारत 3 कांस्य पदक जीत चुका है। महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में मनु भाकर ने पहले कांस्य पदक अपने नाम किया था। फिर सरबजोत के साथ मिश्रित टीम में 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य झटका था। अपने ओलंपिक डेब्यू में स्वप्निल ने कठिनाइयों का संयम के साथ सामना किया। 590-38x के स्कोर तक पहुंचे और अंतिम आठ में अपनी जगह बनाई। 

राइफल थ्री पोजीशन में ऐसे लगाना होता है शॉट

हालांकि ओलंपिक खेलों से पहले उम्मीद नहीं थी कि स्वप्निल देश के लिए पदक लाएंगे, क्योंकि राइफल थ्री पोजीशन में निशानेबाज को तीन पोजिशन में शॉट लगाना होता है। पहले घुटने के बल बैठकर, दूसरा पेट के बल लेटकर ओर तीसरी बार में स्टैंडिंग पोजिशन में शॉट लगाना होता है। स्वप्निल ने घुटने के बल पोजिशन में 153.3 का स्कोर बनाया। प्रोन पोजिशन में उनका स्कोर 310.1 हो गया। स्टैंडिंग पोजिशन में दो शॉट के बाद एलिमिनेशन राउंड की शुरु हुआ था। एलिमिनेशन राउंड में स्वप्निल ने धैर्य से काम लिया। पूरे समय तीसरे पायदान पर जमे रहें। वह सिल्वर मेडल पाए यूक्रेन के शूटर सेरही से महज 0.5 अंक पिछड़ गए। 

कौन हैं स्वप्निल कुसाले?

महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित कंबलवाडी गांव के स्वप्निल कुसाले साल 2012 से ही अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भारत को रिप्रेजेंट कर रहे हैं। 12 साल बाद उन्होंने ओलंपिक डेब्यू किया। पिता टीचर और मां कंबलवाडी गांव की सरपंच हैं। उनके पैरेंट्स मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि सांगली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उसकी निशानेबाजी में रूचि हुई। नासिक से ट्रेनिंग की। आज बेटे का ओलंपिक मैच था तो गांव में हर व्यक्ति उसके मुकाबले का इंतजार कर रहा था। स्कूल के बच्चों को ओलंपिक का खेल लाइव दिखाया गया।

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