भारत-चीन संबंधों में एक नया मोड़, पीएम मोदी की कूटनीतिक कोशिशों के बाद चीन ने दोनों देशों के बीच सहमति लागू करने की पेशकश की। जानें कैसे ब्रिक्स और जी20 शिखर सम्मेलनों में हुई बातचीत से रिश्तों में सुधार हो सकता है।
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, विशेष रूप से 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कूटनीतिक संवाद के जरिए इन संबंधों को नई दिशा देने की कोशिशें की जा रही हैं। ब्रिक्स और जी20 जैसे इंटरनेशनल फोरम पर हुई बातचीत के बाद भारत-चीन रिश्तों के बेहतर होने की उम्मीदें जगी हैं। सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन, दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमतियों को लागू करने और आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी-शी की हुई थी मुलाकात
रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान लगभग 50 मिनट की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी और वहां गश्त बहाल करने पर सहमति जताई थी। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद सहित अन्य मुद्दों पर संवाद बढ़ाने और विभिन्न द्विपक्षीय तंत्र को फिर से सक्रिय करने का आह्वान किया था। तब पीएम मोदी ने कहा था कि परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित रिश्ते ही दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बना सकते हैं।
क्यों मानी जा रही बड़ी सफलता?
भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने और गश्त शुरू करने के समझौते को एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 2020 में गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद भारत-चीन संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले चार दशकों में सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। दोनों देशों के नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों को वार्ता के जरिए सीमा विवाद का हल निकालने का निर्देश दिया। इस तंत्र की स्थापना 2003 में की गई थी और तब से 20 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत की ओर से एनएसए अजीत डोभाल, जबकि चीन की ओर से विदेश मंत्री वांग यी इस वार्ता की अगुवाई करते हैं।
जी20 शिखर सम्मेलन में हो सकती है मुलाकात
ब्राजील में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की संभावना है। एक तरफ जहां पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी विवाद को उचित संवाद के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए, और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता भंग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वहीं शी जिनपिंग का कहना है कि दोनों देशों के बीच अच्छा रणनीतिक दृष्टिकोण बनाए रखने की आवश्यकता है।
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