हमले से पहले 100 बार सोचेंगे चीन-पाक, दुश्मनों को हिला देगा भारत का ये नया हथियार  

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 1, 2025, 11:19 PM IST

भारत और रूस के साझा सहयोग से विकसित ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल 1,500 किमी तक की रेंज और ध्वनि की गति से कई गुना तेज़ रफ्तार से दुश्मन के ठिकानों को मिनटों में तबाह कर देगी। जानें, कैसे यह सुपरफास्ट हथियार चीन और पाकिस्तान को हमले से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर करेगा।

नई दिल्ली: भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप हो रही है, जो आने वाले समय में दुश्मनों के खिलाफ़ भारत की सबसे तेज़ और घातक ताकत साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि इसकी रेंज 1,500 किलोमीटर तक होगी और यह ध्वनि की गति से 7-8 गुना अधिक रफ्तार—यानी लगभग 9,000 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दुश्मन के ठिकानों को मिनटों में ध्वस्त कर देगी। चीन और पाकिस्तान के कुछ प्रमुख शहर भी सीधे इसके दायरे में आएंगे। आइए जानते हैं, ब्रह्मोस-2 समेत हाइपरसोनिक मिसाइलों की पूरी कहानी।

ब्रह्मोस-2: नई पीढ़ी की ‘सुपरफास्ट’ मिसाइल

पहली ब्रह्मोस मिसाइल, ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना ज्यादा गति (मैक 2.8) के लिए जानी जाती थी। अब ब्रह्मोस-2 की स्पीड इससे कई गुना ज्यादा है, जो इसे हाइपरसोनिक मिसाइलों की कैटेगरी में टॉप पर लाएगी। इस मिसाइल को बनाने में रूस की जिरकॉन मिसाइल की टेक्नोलॉजी का यूज किया जा रहा है, जो वर्तमान में दुनिया की सबसे हाई स्पीड वाली मिसाइलों में शुमार है।

ब्रह्मोस मिसाइल: कहां से हुई थी शुरुआत?

ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की “ब्रह्मपुत्र” नदी और रूस की “मस्कोवा” नदी को जोड़कर रखा गया। यह मिसाइल भारत-रूस सैन्य सहयोग का एक जीता-जागता उदाहरण है। पहली ब्रह्मोस मिसाइल दो चरणों में काम करती थी—पहला चरण ठोस प्रणोदक इंजन का और दूसरा चरण तरल रैमजेट प्रणोदक का। यह मिसाइल “फायर एंड फॉरगेट” के सिद्धांत पर काम करती है, यानी की लक्ष्य पर दागने के बाद उसे अलग से किसी गाइडेंस की जरूरत नहीं पड़ती।

हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होती है?

हाइपरसोनिक मिसाइलें वे हैं, जो मैक 5 (ध्वनि से 5 गुना तेज़) से मैक 25 तक की स्पीड से हवा में उड़ान भरती हैं, यानी 8 किमी प्रति सेकेंड तक रफ्तार हासिल कर सकती हैं। ट्रेडिशनल बैलिस्टिक मिसाइलें भी तेज़ उड़ान भरती हैं, लेकिन बाहरी अंतरिक्ष से घूमकर धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं। हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें वातावरण के भीतर बेहद कम ऊंचाई पर उड़ती हैं और स्क्रैमजेट इंजन से चलती हैं। इनकी तेज़ गति और कम ऊंचाई पर उड़ान की वजह से दुश्मन की रडार प्रणालियों के लिए इन्हें रोकना या भेदना आसान नहीं होता।

भारत की डेवलप हो रहीं हाइपरसोनिक मिसाइलें

ब्रह्मोस-2 DRDO और रूस की साझा परियोजना है, जिसके 2027-28 तक तैयार होने की उम्मीद है। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का विकास DRDO कर रहा है, जो भविष्य में हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों को ले जाने में सहायक होगा। हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV-202F) को एक निजी कंपनी विकसित कर रही है, जिसकी स्पीड मैक 20-21 तक होने की संभावना है।

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