500 मीटर अंदर समुद्र में स्थित चट्टान पर बना है ये मेमोरियल- 650 कारीगरों ने बिना मजदूरी के 2081 दिन किया काम

By Surya Prakash TripathiFirst Published May 31, 2024, 11:35 AM IST
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Vivekananda Rock Memorial:  देश के दक्षिणी क्षोर कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द स्मारक शिला तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित एक स्मारक है। यह भूमि-तट से लगभग 500 मीटर अन्दर समुद्र में स्थित 2 चट्टानों में से एक के उपर निर्मित किया गया है। एकनाथ रानडे की विशेष भूमिका है । इसकों बनाने में कितने दिन लगे। कितने कारीगरों ने काम किया। किन आर्थिक संकट से जूझना पड़ा?

Vivekananda Rock Memorial:  देश के दक्षिणी क्षोर कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द स्मारक शिला तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित एक स्मारक है। यह भूमि-तट से लगभग 500 मीटर अन्दर समुद्र में स्थित 2 चट्टानों में से एक के उपर निर्मित किया गया है। एकनाथ रानडे की विशेष भूमिका है । इसकों बनाने में कितने दिन लगे। कितने कारीगरों ने काम किया। किन आर्थिक संकट से जूझना पड़ा?

 

रात में पट्टिका तोड़कर फेंक दी गई थी समुद्र में
मन्मथ पद्मनाभन की अध्यक्षता में अखिल भारतीय विवेकानन्द शिला स्मारक समिति का गठन हुआ और घोषणा हुई कि 12 जनवरी, 1963 से आरम्भ होने वाले स्वामी विवेकानन्द जन्म शताब्दी वर्ष की पूर्णाहुति होने तक वे शिला पर उनकी प्रतिमा की स्थापना कर देंगे। समिति ने 17 जनवरी 1963 को शिला पर एक प्रस्तर पट्टी स्थापित कर दी। किन्तु 16 मई 1963 को इस पट्टिका को रात के अंधेरे में तोड़कर समुद्र में फेंक दिया गया।

40 हजार का बजट बढ़कर पहुंच गया था 1.35 करोड़
स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर RSS के सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर ने सरकार्यवाह एकनाथ रानडे को यह कार्य सौंपा। विवेकानंद शिला स्मारक का आर्थिक बजट कन्याकुमारी जिला समिति के 40,000 रुपयों से फैलते-फैलते 1.35 करोड़ रुपयों पर जाकर रुका। इतनी बड़ी धनराशि जुटाना सरल कार्य नहीं था। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध एवं रुपये के अवमूल्यन के कारण देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था।

On the way to the rally in Kanyakumari, caught a glimpse of the majestic Vivekananda Rock Memorial and the grand Thiruvalluvar Statue. pic.twitter.com/Mveo5k1pTa

— Narendra Modi (@narendramodi)

 

 

सिर्फ भोजन पर काम करने के लिए तैयार हो गए थे मजदूर
कभी- कभी अर्थाभाव के कारण कारीगरों को मजदूरी देना भी संभव नहीं होता था। किन्तु एकनाथ रानडे की निष्ठा से प्रभावित कारीगरों ने अपने परिवार गांव भेज दिए और खाने पर काम करते रहे। मजदूर कहते थे भोजन देते रहिए, हम करते रहेंगे। जब आपके पास धन आ जाए तब हमें दे दीजिएगा।

राज्य सरकारों से 1-1 लाख रुपए का मिला था डोनेशन
धन संग्रह के अभियान को एकनाथ ने राज्य स्तर पर शिला स्मारक समितियों का गठन आरंभ किया। एकनाथ ने प्रत्येक राज्य सरकार को इस स्मारक के लिए न्यूनतम 1 लाख रुपये की राशि देने के लिए मना लिया। नागालैण्ड, सिक्किम जैसे छोटे राज्यों और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने भी 1 लाख रुपए दिए। 

 

73 हजार विशाल प्रस्तर खण्डों में 13 टन की भी हैं शिलाएं
समुद्र तट से 50 फुट ऊंचाई पर निर्मित विवेकानन्द स्मारक शिला को बनाने के लिए लगभग 73 हजार विशाल प्रस्तर खण्डों (Huge stone blocks) को समुद्र तट पर स्थित कार्यशाला में कलाकृतियां कूरेद कर समुद्री मार्ग से शिला पर पहुंचाया गया। इनमें से कई प्रस्तर खण्डों (Stone blocks) का वजन 13 टन तक था। 

650 मजदूरों ने 2081 दिन किया था काम
विवेकानंद रॉक मेमोरियल के निर्माण में लगभग 650 कारीगरों ने 2081 दिनों तक रात-दिन श्रमदान किया। कुल मिलाकर 78 लाख मानव घंटे इस तीर्थ को बनाने में लगे। 02 सितम्बर, 1970 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. वी.वी. गिरि ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि की अध्यक्षता में इस स्मारक का उद्घाटन हुआ।


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