भारत का एक अंजान सा धावक जिससे गोल्ड मेडल की उम्मीद कोई कर नहीं रहा था क्योंकि उसके सामने उसके ही देश के अनुभवी धावक जिनसन जॉनसन थे। मंजीत ने सबको पछाड़ते हुए सोने के तमगे पर कब्जा किया। मनजीत की इस सफलता के पीछे वर्षों का कठिन परिश्रम है।
18 साल से अपने खेल का अभ्यास कर रहे नरवाना के मंजीत सिंह चहल को अब जाकर सफलता मिली है और यह सफलता भी उसे गोल्ड मेडल के रूप में प्राप्त हुई। मंजीत ने 800 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है। मंलगवार को पूरे दिन लोग मंजीत का खेल देखने के लिए टीवी नजरे टिकाए हुए थे। उसका खेल शाम को 6 बजे शुरू हुआ और उसने सवा 6 बजे एक गोल्ड मैडल देश की झोली में डाल दिया।
खेल में विजेता होने के बाद परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है। गोल्ड मिलते ही परिजनों ने लड्डु बांटना शुरू कर दिया और बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा रहा। नरवाना के नवदीप स्टेडियम में भी खेल प्रेमियों द्वारा ढोल नगाड़ों के साथ खुशी मनाई गई।
मंजीत के पिता रणधीर सिंह चहल ने माय नेशन को बताया कि, “उनका बेटा पिछले 18 साल से अपने खेल का अभ्यास रहा है। उसका सपना था कि वह अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीते, जो मंगलवार को उसने पूरा किया।
पिता ने बताया कि, “मंजीत ने कई महीने तक भूटान में अभ्यास किया। इससे पूर्व मनजीत चहल ने गुवाहाटी में संपन्न राष्ट्रीय खेलों में हरियाणा की ओर से खेलते हुए 800 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था। जिससे बलबूते उन्हें एशियाई खेलों में खेलने का मौका मिला”। मनजीत चहल के पिता रणधीर सिंह चहल ने कहा कि उन्हे विश्वास था कि उनका बेटा जकार्ता में खेलते हुए देश के लिए जरूर कोई खुशखबरी लाएगा।
मंजीत की पत्नी किरण ने बताया कि मंजीत पिछले 6 माह से अपने खेल के अभ्यास के लिए घर से दूर रहे। इसी बीच मंजीत की पत्नी ने एक बेटे का भी जन्म दिया। लेकिन पदक जितने की लालसा में वो परिवार से दूर संघर्ष करते रहे। अब मंजीत का बेटा साढे 4 माह है। किरण ने बताया कि उनके पति की इस जीत के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है।
हर व्यक्ति की सफलता के पीछे किसी न किसी का हाथ होता है। मंजीत की इस सफलता के पीछे उनके पिता रणधीर सिंह चहल हैं। रणधीर सिंह अपनी जवानी में कबड्डी और हैम्मर थ्रो के अच्छे खिलाड़ी रहें है और उन्होंने मंजीत को लगातार अपने खेल का अभ्यास करते हुए आगे बढऩे की प्रेरणा दी।
मंजीत की मां बिमला ने बताया कि, “उनके बेटे ने हरियाणा के दूध-चूरमे की ताकत का दम दिखाया है। गौरतलब है कि मंजीत के पिता भैसों का व्यापार करते हैं और उनके घर पर दूध घी की कमी नहीं है। मंजीत के छोटे भाई अमरजीत चहल ने भी अपने भाई द्वारा देश का मान बढाने पर खुशी जाहिर की।