सौरव गांगुलीः पदार्पण टेस्ट में शतक से वनडे की बुलंदियों तक

 |  First Published Jul 8, 2018, 4:11 PM IST

आज भारतीय क्रिकेट जिस स्वरूप में नजर आ रहा है, उसका शिल्पी सौरव गांगुली को कहा जाता है। उन्होंने मैदान पर पूरी आक्रामकता के साथ अपनी क्रिकेट खेली। साथी खिलाड़ियों को भी आक्रामकता सिखाई। भारतीय टीम को तैयार करने के लिए अपने कड़े फैसलों पर अडिग रहे। 46वें जन्मदिन पर ‘माय नेशन’ याद कर रहा है, उनकी कुछ चर्चित पारियों को। 

2002 में इंग्लैंड को नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में हराने के बाद लॉर्ड्स मैदान के पैवेलियन की बालकनी से शर्ट लहराने वाली तस्वीर हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के जेहन में जिंदा है। पूर्व भारतीय कप्तान को खिलाड़ियों में जीत की भूख पैदा करने के लिए याद किया जाता है। बाएं हाथ के एक बेहतरीन बल्लेबाज और मध्यम गति के गेंदबाज सौरव ने अपने करियर का आगाज़ क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर किया। 

प्रिंस ऑफ कलकत्ता कहे जाने वाले सौरव 18,575 अंतरराष्ट्रीय रन के साथ अब भी भारत के तीसरे सबसे सफल खिलाड़ी हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रन को पहाड़ खड़े करने वालों की सूची में 12वें नंबर पर हैं। वह अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लगातार चार वनडे मुकाबलों में ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब जीता। टेस्ट मैचों में उनका औसत 40 के आसपास रहा। 

131 बनाम इंग्लैंड, लॉर्ड्स, 20-24 जून, 1996

सौरव गांगुली के टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण को उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी माना जाता है। पहली पारी में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए सौरव ने पहले ही मैच में 131 रन की शानदार पारी खेली। इस मैच में उनके साथ एक और कामयाब टेस्ट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने भी अपने करियर का आगाज़ किया था। क्रिस लेविस, डोमनिक कॉर्क, एलन मुलाली और पीटर मार्टिन जैसे गेंदबाजों का सामना करते हुए सौरव ने अपने आने का एलान शतक के साथ किया। भारत ने इंग्लैंड के 344 रन के मुकाबले 429 रन बनाए। इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी नौ विकेट पर 278 रन पर घोषित की। यह मुकाबला ड्रा रहा। 

183 बनाम श्रीलंका, टांटन, 26 मई, 1999 विश्वकप

अपने डेब्यू के तीन साल के अंदर ही गांगुली भारतीय बल्लेबाजी का मजबूत स्तंभ बन चुके थे। 1999 के विश्वकप में उन्होंने लीग मुकाबले में श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की शानदार पारी खेली। उन्होंने दूसरे विकेट के लिए राहुल द्रविड़ के साथ 318 रन की साझेदारी की। अपनी पारी में उन्होंने 17 चौके और 7 छक्के लगाए। 

141* बनाम दक्षिण अफ्रीका, नैरोबी, 13 अक्टूबर, 2000, चैंपियंस ट्रॉफी 

चैंपियंस ट्रॉफी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मुकाबले में भारत ने पहले खेलते हुए 50 ओवर में 295/6 रन बनाए। सौरव ने पोलाक, डोनाल्ड, क्लूजनर और निकी बोये जैसे गेंदबाजों का सामना करते हुए 11 चौके और छह छक्कों की मदद से 141 रन की नाबाद पारी खेली। 

117 बनाम न्यूजीलैंड, नैरोबी, 15 अक्टूबर, 2000, चैंपियंस ट्रॉफी

चैंपियंस ट्रॉफी में लगातार दूसरा शतक लगाते हुए न्यूजीलैंड के खिलाफ सौरव ने नौ चौकों और चार छक्कों की मदद से 130 गेंद में 117 रन की पारी खेली। भारत ने 50 ओवर में छह विकेट पर 264 रन बनाए। 

60 बनाम इंग्लैंड, लॉर्ड्स, 13 जुलाई, 2002, नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल

लॉर्ड्स के मैदान पर भारत की ऐतिहासिक जीत की आधारशिला सौरव गांगुली ने ही रखी थी। वीरेंद्र सहवाग के साथ पारी की शुरुआत करने उतरे सौरव ने 43 गेंद में 60 रन की धुआंधार पारी खेली और पहले विकेट के लिए 15 ओवर में 103 रन जोड़े। इसी शानदार शुरुआत के दम पर युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने भारत को फाइनल में जीत दिलवाई। ये जीत कितनी बड़ी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांगुली लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी शर्ट लहराते नजर आए। यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का एक यादगार लम्हा बन गया। 

128 बनाम इंग्लैंड, हेडिंग्ले, 22-26 अगस्त, 2002

16 साल भारत ने इंग्लैंड की सरजमीं पर टेस्ट मैच नहीं जीता था। चार मैचों की सीरीज में भारत 1-0 से पीछे चल रहा था। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास बन गया। भारतीय क्रिकेट की तिकड़ी, सचिन, सौरव और राहुल की धमाकेदार शतकीय पारियों के बदौलत भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट पर 628 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। इसमें सौरव ने 128 रन की शानदार पारी खेली। भारत ने यह टेस्ट एक पारी और 46 रन से जीता। 

51 बनाम दक्षिण अफ्रीका, जोहांसबर्ग, 15-18 दिसंबर, 2006

2006 से पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीकी की धरती पर कभी टेस्ट मैच नहीं जीता था। हालांकि, क्रिकेट मैदान पर वापसी कर रहे रॉयल बंगाल टाइगर कहे जाने वाले सौरव एक बार फिर तैयार थे। भारत 110 रन पर चार विकेट खो चुका था। पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे सौरव ने डेल स्टेन, शॉन पोलाक, मखाया नतीनी और आंद्रे नेल जैसे तेज गेंदबाजों के आक्रमण के सामने 51 रन की जुझारू पारी खेली। अपनी पहली पारी में दक्षिण अफ्रीका की टीम 84 रन पर सिमट गई। दूसरी पारी में वीवीएस लक्ष्मण के 73 रन की बदौलत भारत ने 236 रन बाए। पहली पारी में मिली 249 की बढ़त के साथ यह लक्ष्य दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए काफी बड़ा हो गया। वह 123 रन से मैच हार गई। 

102 बनाम ऑस्ट्रेलिया, मोहाली, 17-21 अक्टूबर, 2008

अपनी आखिरी इंटरनेशनल सीरीज में भी गांगुली चैंपियन की तरह खेलते नजर आए। मोहाली में  बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे मैच में सौरव ने 225 गेंदों में 102 रन की शानदार पारी खेली। सचिन के 88, गौतम गंभीर के 67 रन की बदौलत भारत ने पहली पारी में 469 रन बनाए। यह मुकाबला भारतीय टीम ने 320 रन से जीता। यह सौरव का अंतिम अंतरराष्ट्रीय शतक रहा। 
 

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