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ITR : 31 जुलाई तक नहीं फाइल कर पाए रिटर्न, जानें आपके पास अब क्या है ऑप्शन

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Aug 02, 2024, 04:29 PM IST
ITR : 31 जुलाई तक नहीं फाइल कर पाए रिटर्न, जानें आपके पास अब क्या है ऑप्शन

सार

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की लास्ट डेट 31 जुलाई को समाप्त हो गई है। देर से रिटर्न दाखिल करने की लास्ट डेट 31 दिसंबर 2024 है। जानें पेनल्टी, इंटरेस्ट और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।

Income Tax Return Filing: फाईनेंसियल ईयर 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई को समाप्त हो गई। टैक्स पेयर्स की बार-बार अपील के बावजूद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लास्ट डेट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि, टैक्स पेयर्स के पास अभी भी डिलेड IT रिटर्न दाखिल करने का ऑप्शन है, हालांकि इसके लिए पेनॉल्टी लगेगी। डिले रिटर्न फाईल करने की लास्ट डेट 31 दिसंबर 2024 है। यहां बताया गया है कि टैक्स पेयर्स को लास्ट डेट चूकने और डिलेड रिटर्न दाखिल करने के रिजल्ट्स के बारे में क्या पता होना चाहिए?

1. डिलेड रिटर्न की पहचान कैसे करें?
प्रारंभिक टाइम लिमिट के बाद दाखिल किए गए टैक्स रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(4) के तहत डिलेड रिटर्न कहा जाता है। जिन टैक्स पेयर्स ने 31 जुलाई की टाइम लिमिट के बाद अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनके पास असिस्मेंट ईयर 2024-25 के लिए ऐसा करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि टाइम लिमिट के बाद रिटर्न दाखिल करने से टैक्स पेयर्स को जुर्माने या अन्य रिजल्ट्स से सुरक्षा नहीं मिलती है।

2. लेट से दाखिल करने पर कितनी लगती है पेनॉल्टी?
टाइम लिमिट के बाद अपना टैक्स दाखिल करने वाले टैक्स पेयर्स पर 5,000 रुपए का जुर्माना है। 5 लाख से कम इनकम वाले किसी भी व्यक्ति पर जुर्माना 1,000 है। इस जुर्माने का उद्देश्य टैक्स रिपोर्टिंग की टाइम लिमिट का तुरंत पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

3. कितना देना होगा इंटरेस्ट?
IT एक्ट के सेक्शन 234A के तहत जिन टैक्स पेयर्स पर बकाया टैक्स बकाया है, उनसे 1 अगस्त से टैक्स का भुगतान होने तक 1% प्रति माह के रेट से ब्याज लिया जाएगा। यह एक्स्ट्रा खर्च तेजी से बढ़ सकता है, जिससे कुल ड्यू एमाउंट बढ़ सकती है।

4. किस रिजीम में होता है टैक्स पेयर्स को छूट का नुकसान?
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत देर से रिटर्न दाखिल करने पर छूट का नुकसान होता था। न्यू टैक्स रिजीम उन टैक्स पेयर्स पर लागू होगी जो देरी से रिटर्न दाखिल करते हैं, अन्य बातों के अलावा धारा 80C और 80D के तहत कटौती और छूट पर रोक लगाती है।

5. टाइम लिमिट तक टैक्स दाखिल न करने का क्या है नुकसान?
टाइम लिमिट तक टैक्स दाखिल न करने का मतलब है कि टैक्स पेयर्स पूंजीगत घाटे को अगले वर्षों में ले जाने का मौका खो देंगे। यह टैक्स पेयर्स के फ्यूचर के कैपिटल गेन से अपने घाटे को घटाने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।

6. डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम क्या है?
न्यू टैक्स रिजीम फाईनेंसियल ईयर 2023-24 के लिए डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम होगी। देरी से दाखिल करने वालों को तुरंत इस व्यवस्था में बदल दिया जाएगा और वे पुरानी टैक्स व्यवस्था द्वारा दी जाने वाली कटौती के लिए पात्र नहीं होंगे।

7. डिलेड रिफंड की पुष्टि कैसे करें? 
टैक्स पेयर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि लेट से दाखिल किया गया रिटर्न मान्य है। निर्बाध फाइलिंग प्रॉसेस के लिए रिटर्न की पुष्टि करने का सबसे तेज़ और सुविधाजनक तरीका ऑनलाइन वेरीफिकेशन है।  निष्कर्ष में भले ही टैक्सपेयर्स के पास टाइम लिमिट चूकने की स्थिति में लेट से रिटर्न दाखिल करने का ऑप्शन हो, लेकिन उन्हें दंड का पेमेंट करने और कुछ लाभों को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए।

 


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