दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने शराब नीति मामले में 18 महीने की जेल के बाद जमानत दे दी है। जानें कोर्ट ने क्यों कहा कि सिसोदिया को "त्वरित सुनवाई" का हक है और इस मामले में महत्वपूर्ण अपडेट्स।
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। कथित शराब नीति मामले में CBI द्वारा गिरफ्तार किए जाने के लगभग 18 महीने बाद मनीष सिसोदिया को जमानत मिली है। कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कई सख्त कमेंट भी किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया "त्वरित सुनवाई" के हकदार हैं और उन्हें ट्रायल कोर्ट में वापस भेजना उनके लिए "सांप-सीढ़ी का खेल" खेलने जैसा होगा।
मनीष सिसोदिया की जमानत पर कोर्ट ने क्या कहा?
मनीष सिसोदिया को CBI ने 26 फरवरी, 2023 को और प्रवर्तन निदेशालय ने दो सप्ताह से भी कम समय बाद गिरफ्तार किया था। अब उन्हें दोनों मामलों में जमानत मिल गई है, नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मुकदमे की सुनवाई तक वे अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रह सकते। न्यायमूर्ति BR गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता को बिना किसी सुनवाई के असीमित समय के लिए जेल में रखना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
"18 महीने की कैद... अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है"
न्यायमूर्ति गवई ने निचली अदालतों से सवाल पूछते हुए कहा, "18 महीने की कैद... अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है और अपीलकर्ता को त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है।" ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को इस पर उचित ध्यान देना चाहिए था। अदालतें भूल गई हैं कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जानी चाहिए। सिद्धांत रूप से जमानत नियम है और जेल अपवाद..." अदालत ने कहा, यह स्वीकार करते हुए कि लंबे समय तक कारावास असहनीय था। आरोपी की सजा के तौर पर जमानत खारिज नहीं की जा सकती। आईए जानते हैं
मनीष सिसोदिया के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य।
हरियाणा में जन्में मनीष सिसोदिया कितने पढ़े-लिखे हैं?
मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी, 1972 को हिसार, हरियाणा में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट किया। मनीष सिसोदिया ने पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था। अन्ना आंदाेलन से जुड़े मनीष सिसाेदिया आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। 2015 से 2023 तक दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल मंत्रिमंडल में वह शिक्षा, वित्त और पर्यटन सहित विभिन्न कैबिनेट पदों पर रहे। डिप्टी सीएम रहने के दौरान उन्हें दिल्ली में सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र में सुधार का श्रेय जाता है।
आम आदमी से जुड़ने से पहले क्या करते थे मनीष सिसोदिया?
दिल्ली में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा। फरवरी 2023 में सीबीआई द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया। करीब 1.5 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली। मनीष सिसोदिया के परिवार में उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया और दो बच्चे हैं। राजनीति में प्रवेश करने से पहले वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे। मनीष सिसोदिया पहले एक आरटीआई कार्यकर्ता थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम का उपयोग किया।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM की और क्या हैं खास उपलब्धियां?
मनीष सिसोदिया ने राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर कई किताबें लिखीं हैं। उन्हें शिक्षा और सामाजिक सक्रियता में उनके काम के लिए कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। AAP की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य मनीष सिसोदिया AAP नेता अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी हैं। दिल्ली शराब नीति मामले और भाई-भतीजावाद के आरोपों सहित कई विवादों में शामिल होने का उन पर आरोप है।
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