IAS अभिषेक सिंह-PCS निशा बांगरे का राजनीति से मोह भंग, अब नौकरी की वापसी में फंसा पेंच, जाने क्या है Rule

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Apr 12, 2024, 8:51 AM IST

हले यूपी के IAS अधिकारी अभिषेक सिंह और अब एमपी की PCS अफसर निशा बांगरे के इस्तीफे के बाद दोबारा नौकरी में लौटने की कयासबाजी के बीच आम आदमी के दिमाग में यह सवाल बार-बार उठने लगा है कि क्या ऐसा भी होता है। ये अधिकारी जब चाहें नौकरी ज्वाइन करें और जब चाहे छोड़ दे। क्या अपनी जरूरत के हिसाब से इस तरह के अधिकारियो की रीज्वाईनिंग हो सकती है।

हले यूपी के IAS अधिकारी अभिषेक सिंह और अब एमपी की PCS अफसर निशा बांगरे के इस्तीफे के बाद दोबारा नौकरी में लौटने की कयासबाजी के बीच आम आदमी के दिमाग में यह सवाल बार-बार उठने लगा है कि क्या ऐसा भी होता है। ये अधिकारी जब चाहें नौकरी ज्वाइन करें और जब चाहे छोड़ दे। क्या अपनी जरूरत के हिसाब से इस तरह के अधिकारियो की रीज्वाईनिंग हो सकती है। इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कि आखिर इसका क्या रूल और रेगुलेशन है।

सांसदी का चुनाव लड़ना चाहते थे IAS अभिषेक सिंह 
यूपी कैडर के IAS अधिकारी अभिषेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीति ज्वाइन करने का एलान किया था। यूपी सरकार ने 5 महीने बाद उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। तब यह चर्चा शुरू हो गई थी कि अभिषेक सिंह जौनपुर से BJP के टिकट पर सांसदी का चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने वहां से कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतार दिया। उसके बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे कि अभिषेक सिंह अपनी नौकरी फिर से ज्चाइन करना चाह रहे हैं।

विधायक बनने के लिए डिप्टी कलेक्टर पद से निशा बांगरे ने दिया था इस्तीफा
इसी तरह मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता निशा बांगरे के साथ भी हुआ है। निशा बांगरे ने  डिप्टी कलेक्टर के पद से अक्तूबर 2023 में ही इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन की थी। उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया। वह बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा का टिकट मांग रहीं थीं, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया। जिसके बाद से वह अब अपनी नौकरी में वापसी करना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने सरकार में आवेदन करने के साथ ही मुख्यमंत्री से मिलने का भी समय मांगा है। 

क्या कहता है नियम
अब सवाल यह उठता है कि इन दोनों अफसरों की क्या रिज्वाइनिंग होगी। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने aajtak.in से बातचीत में बताया कि इस्तीफे की एक समयसीमा होती है। उसके के बाद सरकारी कर्मचारियों का दोबारा नौकरी ज्वाइन करना संभव नहीं होता। अखिल भारतीय सेवाएं (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के अनुसार यदि सरकार इस्तीफा मंजूर कर लेती है तो फिर दोबारा ज्वाईनिंग नहीं हो सकती। किसी राजनितिक पार्टी से जुड़ने के लिए किसी भी व्यक्ति को सरकारी पद छोड़ना पड़ता है। राजनीतिक पार्टी से जुड़ने के बाद दोबारा सरकारी नौकरी में लौटने का भी रास्ता बंद हो जाता है। 

सरकार के इस्तीफा स्वीकार करने के बाद नौकरी में वापसी संभव नहीं
अखिल भारतीय सेवाएं (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के रूल 5 क्लॉज ए के अनुसार इसमें एक रास्ता ही बचता है कि अगर सरकार ने किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का इस्तीफा नहीं मंजूर किया है तो उसके नौकरी में दोबारा पोस्टिंग का रास्ता खुला रहता है। IAS और IPS जैसी नौकरियों में यह रूल है कि अधिकारी चाहे तो 3 महीने के अंदर अथवा जब तक सरकार ने इस्तीफा स्वीकार न किया हो, तब तक वापस ले सकता है। उक्त दोनों मामलों में सरकार दोनों मामलों में सरकार इस्तीफा मंजूर कर चुकी है।  

IAS शाह फैसल को 5 साल बाद मात्र इसलिए वापस मिल गई है नौकरी
जम्मू काश्मीर कैडर के IAS अधिकारी शाह फैसल ऐसे अपवाद स्वरूप हैं, जिन्होंने राजनीति में उतरने के 5 साल बाद अपनी नौकरी दोबारा ज्वाइन की है, लेकिन उनके लिए प्लस प्वांइट ये था कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ था। बताते चलें कि 2010 बैच के टॉपर IAS अफसर शाह फैसल ने 5 साल पहले इस्तीफा देकर जम्मू कश्मीर की राजनीति में उतरे थे। अब वह राजनीति छोड़कर अपनी नौकरी ज्वाइन कर चुके हैं। 

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