ताजमहल में गंगा जल से अनुष्ठान की घटना ने तेजो महालय के विवाद को और गर्मा दिया है। जानें इस अनुष्ठान की पूरी कहानी, इसके पीछे के लोग, और एएसआई और सरकार की प्रतिक्रिया।
आगरा। ताजमहल या तेजो महालय? यह बहस लंबे समय से चल रही है। हालांकि,अब यह और भी तेज़ हो गई क्योंकि दो युवकों ने एक दिन पहले ताजमहल के अंदर गंगा जल से अनुष्ठान किया। लेकिन सुरक्षा के बावजूद वे ऐसा कैसे कर पाए? आज हम आपको ताजमहल में हुए अनुष्ठान की अंदरूनी कहानी बताएंगे। हम बताएंगे कि यह अनुष्ठान क्यों किया गया और इसके पीछे के लोगों से सीधे योजना शेयर करेंगे।
आखिर क्यों शुरू हुई ताजमहल की फिर से चर्चा?
आगरा स्थित ताजमहल में एक दिन पहले दो युवकों ने गंगाजल से अनुष्ठान किया। उन लोगों ने इसका वीडियो भी बनाया। जिसमें एक युवक अनुष्ठान कर रहा है, जबकि दूसरा वीडियो बना रहा है। जब वे अपनी हरकतों को रिकॉर्ड कर रहे होते हैं, तो कोई सुरक्षाकर्मी नज़र नहीं आता। जैसे ही वे आगे बढ़ते हैं, उन्हें ताजमहल परिसर में एक गेट दिखाई देता है। उनमें से एक व्यक्ति गेट पर "ओम" का स्टिकर चस्पा कर देता है और बोतल से उस पर गंगा जल डालता है। वे तहखाने से गुजरते हुए ताजमहल में आगे बढ़ते हैं (दृश्य दिखाए गए हैं)। आखिरकार, वे मुमताज बेगम के मकबरे पर पहुंचते हैं। उनमें से एक व्यक्ति बोतल से पानी को मकबरे पर डालता है, जिससे उनका मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है।
रिजल्ट और ASI रिपोर्ट में क्या कहा गया?
आखिरकार सुरक्षाकर्मियों ने उन लोगों को देखा और उन्हें हिरासत में ले लिया। जी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आगरा कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया, जिसमें कहा गया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ताजमहल कभी मंदिर था। नवंबर 2015 में संस्कृति मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया कि ताजमहल में किसी मंदिर का कोई सबूत नहीं है।सरकार और एएसआई दोनों ने इस बात से इनकार किया है कि ताजमहल कभी तेजो महालय था। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। हालांकि, यह विवाद बना हुआ है कि क्या ताजमहल कभी तेजो महालय था। इस नए घटनाक्रम ने इस बहस में और आग लगा दी है।
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