शिक्षक दिवस पर गुरू को क्या दिया जाता है सेब? जाने सदियों पुरानी पंरपरा की इंटरेस्टिंग स्टोरी

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Sep 5, 2024, 10:19 AM IST

शिक्षक दिवस 2024 पर सेब देने की सदियों पुरानी परंपरा का इतिहास और महत्व जानें। यह साधारण फल कैसे शिक्षकों के प्रति रिस्पेक्ट और ग्रेच्युटी का प्रतीक बना और इसकी आज की रिलिवेंस।

Teacher's Day 2024: शिक्षक दिवस 2024 उन शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिन्होंने ज्ञान के प्रकाश को फैलाया। इस अवसर पर शिक्षकों को सेब भेंट करने की परंपरा, जो ज्ञान और प्रशंसा का प्रतीक है, सदियों पुरानी है और इसका सांस्कृतिक महत्व कई देशों में अलग-अलग रूपों में देखा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह साधारण सा फल शिक्षकों के प्रति सम्मान का इतना गहरा प्रतीक कैसे बन गया?

शिक्षा और सेब के बीच का रिश्ता
एक पुरानी परंपरा बचपन के कार्टून से लेकर कक्षाओं तक, सेब शिक्षकों का प्रतीक बन गया है। भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है और इस दिन शिक्षक को एक लाल सेब देना एक प्रचलित प्रथा है। यह सिर्फ़ एक स्वास्थ्यवर्धक फल नहीं है, बल्कि इस परंपरा के पीछे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी है, जो इसे एक खास उपहार बनाता है।

क्या है टीचर्स डे पर शिक्षक को सेब देने की प्रथा?
धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं ईडन गार्डन की कथा से ही सेब ज्ञान और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। प्राइमरी एजूकेशन के समय शिक्षक केवल पढ़ाने का काम नहीं करते थे, बल्कि नैतिकता, लॉजिक और सोशल वैल्यू का पाठ भी सिखाते थे। इस प्रकार, सेब एक ऐसा उपहार बन गया, जो उनके ज्ञान को सम्मानित करता था।

सेब के बदले शिक्षा: एक व्यावहारिक प्रैक्टिस
कुछ विद्वानों का मानना है कि सेब देना केवल एक सम्मान का प्रतीक नहीं था, बल्कि एक समय पर यह शिक्षा के बदले दिए जाने वाली फीस का रूप भी था। 16वीं से 18वीं शताब्दी के स्वीडन और डेनमार्क में शिक्षकों को उनके मिनिमम सैलरी की पूर्ति के लिए सेब की टोकरियां दी जाती थीं। यही प्रथा अमेरिका के पश्चिमी सीमांत क्षेत्रों में भी जारी थी, जहां शिक्षक अक्सर कम सैलरी पर काम करते थे और सेब जैसी उपज को उनके काम के बदले सम्मानित किया जाता था।

अमेरिक से जुड़ी है शिक्षकों को सेब देने के पीछे की स्टोरी
अमेरिकी सीमा पर भी ऐसी ही स्थिति चल रही थी जहां शिक्षक बहुत कम थे और परिवारों के पास उनकी सेवाओं के बदले में उन्हें देने के लिए पैसे नहीं होते थे। उस समय, सेब अक्सर खट्टे और काफी छोटे होते थे, लेकिन फिर भी उनका बहुत मूल्य होता था क्योंकि उन्हें अलग-अलग तरीके से खाया जा सकता था। स्कूल वर्ष अक्सर सितंबर में सेब की फ़सल के साथ मेल खाता था और यह संभावना है कि कोई भी शिक्षक पेमेंट के रूप में सेब पाकर प्रसन्न होगा।

पॉप सिंगर के इस गाने ने टीचर्स डे पर सेब देने की पुरानी परंपरा को कर दिया हाईटेक
जैसा कि मनुष्य बहुत सी छोटी-छोटी आदतों को अपनाता है, यह परंपरा आधुनिक युग में फैल गई जहां स्कूल और उनका नेतृत्व करने वाले शिक्षक आम हो गए। आधुनिक समय में सेब और शिक्षक का जुड़ाव 1939 में बिंग क्रॉस्बी जैसे लोकप्रिय गायकों ने "एन एप्पल फॉर द टीचर" गीत गाकर इसे पॉप संस्कृति का हिस्सा बना दिया। तब से सेब शिक्षक और छात्र के बीच के रिश्ते का प्रतीक बन गया।

आज सेब देना शिक्षक के प्रति बन गया है सम्मान का प्रतीक
आज, शिक्षक दिवस के अवसर पर सेब देने की परंपरा एक प्रतीक बन गई है, जो शिक्षक के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करता है। चाहे बच्चे कार्ड बनाएं या चॉकलेट उपहार में दें, लेकिन सेब का महत्व आज भी स्थायी बना हुआ है। यह सरल परंपरा, शिक्षक और छात्र के बीच के रिश्ते को मज़बूत करने का काम करती है और पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है।
 
 

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