अब पराली जलाने वाले किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जानें कैसे यह नया नियम पर्यावरण और सेहत की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है।
लखनऊ। पराली जलाने से न केवल एयर पॉल्यूशन में बढ़ोतरी होती है, बल्कि स्थानीय निवासियों और किसानों के सेहत पर भी खतरा मंडराने लगता है। इसे ध्यान में रखते हुए यूपी के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने एक अहम निर्णय लिया है। उसके मुताबिक, अब जो किसान अपने खेतों में पराली जलाएंगे, उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
पराली जलाने से साल-दर-साल हवा विषैली हो रही है। पॉल्यूशन का लेवल खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। शहरी और ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग इसके कारण सांस की बीमारियों, एलर्जी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं।
पर्यावरण के लिए नुकसान
पराली जलाने से वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जो वातावरण में पॉल्यूशन के लेवल को बढ़ाती हैं। इसके अतिरिक्त, पराली जलाने से ग्रीनहाउस गैसें भी निकलती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और अधिक गंभीर होती है।
मिट्टी की उर्वरता में कमी
जब खेतों में पराली जलाई जाती है, तो यह मिट्टी की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाती है। अधिक तापमान से मिट्टी में पाए जाने वाले लाभकारी जीवाणु मर जाते हैं, और खेतों की नमी भी खत्म हो जाती है। इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है, जिससे भविष्य में फसल उत्पादन पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है।
सेहत को ये खतरे भी
पराली जलाने से निकलने वाला धुआं आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई, और अन्य श्वसन समस्याओं का कारण बनता है। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों पर इसका विशेष रूप से बुरा असर पड़ता है।
क्या हैं नये नियम?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का मकसद किसानों को फाइनेंशियल सहायता देना है। इसके तहत हर साल किसानों को 6000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। नये नियमों के मुताबिक, यदि कोई किसान पराली जलाता हुआ पाया जाता है, तो उसे इस योजना से बाहर कर दिया जाएगा। इस नए नियम का मकसद किसानों को पराली जलाने से रोकना है।
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