हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट टैक्स को लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। 20 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, हर घर में टॉयलेट के हिसाब से 25 रुपये का टैक्स वसूला जाना था। जानें इस विवाद की पूरी कहानी।
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट टैक्स को लेकर बवाल मचा हुआ है। ऐलान के बाद ही यह अजीबोगरीब टैक्स देश भर में चर्चा में आ गया। राज्य सरकार पर बीजेपी हमलावर हो गई तो अचानक सूक्खू सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और ऐसे किसी टैक्स के लगाए जाने के ऐलान से इंकार कर दिया। हालांकि इस टैक्स की अधिसूचना राज्य के अतिरिक्त सचिव ओंकार शर्मा की तरफ से जारी की गई थी।
क्या है टॉयलेट टैक्स?
दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से 20 सितम्बर को एक अधिसूचना जारी की गई थी। उसके अनुसार, हर घर में प्रति टॉयलेट के हिसाब से टैक्स का प्रावधान किया गया था, जो प्रति टॉयलेट सीट 25 रुपये था। यह बतौर सीवरेज कनेक्शन वसूला जाना था। जब यह जानकारी पब्लिक डोमेन में आई तो हंगामा मच गया। सीएम सुखविंदर सिंह सुखू ने टायलेट टैक्स जैसे किसी टैक्स के न होने का बयान दिया।
सीएम ने कहा-टॉयलेट टैक्स जैसी कोई बात नहीं
हिमाचल प्रदेश के सीएम ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव से पहले प्रदेश में फ्री पानी का मीटर लगाने का वादा किया था। साथ ही पानी का बिल न हीं लेने की बात भी कही थी। हमारी सरकार हर परिवार से 100 रुपये लेने की बात कर रही रही है। टॉयलेट टैक्स पर लोग राजनीति कर रहे है, उन्हें चीजों को समझ कर बात करना चाहिए। इसमें टॉयलेट टैक्स जैसी कोई बात नहीं है।
विपक्ष का हमला-गांधी जयंती पर जनता को गिफ्ट
बहरहाल, प्रदेश के जल शक्ति विभाग ने भी टॉयलेट टैक्स की खबरों को नकार दिया है। यह बात जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुंची तो उन्होंने भी इस पर अपना रिएक्शन दिया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि गांधी जयंती के मौके पर हिमाचल सरकार स्थानीय लोगों को गिफ्ट दे रही है। एक तरफ केंद्र सरकार हर घर, चौराहों और चौपालों में फ्री टॉयलेट के अरेंजमेंट पर फोकस कर रही है। वहीं कांग्रेस सरकार लोगों के टॉयलेट पर भी टैक्स लगा रही है।
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