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चूहों पर क्यों किए जाते हैं इंसानी एक्सपेरिमेंट्स? जानिए इसके वैज्ञानिक कारण

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Nov 10, 2024, 02:29 PM IST
चूहों पर क्यों किए जाते हैं इंसानी एक्सपेरिमेंट्स? जानिए इसके वैज्ञानिक कारण

सार

मेडिकल साइंस में इंसानी एक्सपेरिमेंट्स से पहले चूहों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? जानें चूहों और इंसानों के बीच डीएनए समानता, तेजी से असर दिखाने की क्षमता और उनके जीवनकाल से जुड़े वैज्ञानिक कारण।

नई दिल्‍ली। मेडिकल साइंस में चूहों का योगदान अनमोल है। लगभग हर नई दवा इंसानों पर इस्तेमाल करने से पहले चूहों पर टेस्ट की जाती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब धरती पर इतनी जीव-प्रजातियां मौजूद हैं, तो आखिर वैज्ञानिक खासतौर से चूहों को ही परीक्षण के लिए क्यों चुनते हैं? आइए जानते हैं कि इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं।

चूहों और इंसान में क्या समानता?

चूहों और इंसानों के शरीर के बीच भले ही स्पष्ट अंतर हों, लेकिन उनके जीनोम यानी डीएनए संरचना में समानताएं हैं। रिसर्च के मुताबिक, चूहे और इंसान का लगभग 85% डीएनए समान होता है। इससे वैज्ञानिकों को चूहों पर किए गए प्रयोगों के नतीजों की ह्यूमन बॉडी रिएक्शन से तुलना करने में आसानी होती है, क्योंकि दिमाग की बनावट, इम्यून सिस्टम, हार्मोनल संतुलन और आर्गन, यह सब इंसानों और चूहों में समान तरीके से काम करते हैं। इसी वजह से, इंसानों के लिए बनी दवाओं का पहले चूहों पर परीक्षण किया जाता है। 

चूहों पर तेजी से दिखाई देता है प्रभाव

चूहों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव तेजी से दिखाई देता है। उनके शरीर का मेटाबोलिक रेट इंसानों की तुलना में तेज होता है, जिससे दवाओं के प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स और शरीर की प्रतिक्रियाएं जल्द नजर आती हैं। इसका फायदा यह होता है कि वैज्ञानिक कम समय में यह जान पाते हैं कि दवा या उपचार का इंसानी शरीर पर क्या प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी नई दवा का परीक्षण करना हो तो इंसानों पर इसका प्रभाव जानने में कई साल लग सकते हैं, जबकि चूहों पर यह प्रक्रिया कुछ ही हफ्तों या महीनों में पूरी हो जाती है। इस वजह से चूहे वैज्ञानिकों को तेजी से परिणाम देते हैं। 

कम होता है चूहों का जीवनकाल

चूहों का जीवनकाल औसतन 2-3 साल का होता है, जो कि रिसर्च के लिए बहुत यूजफूल है। चूहे तेजी से प्रजनन करते हैं, जिससे वैज्ञानिकों को नई पीढ़ी के चूहों पर तेजी से परीक्षण करने का अवसर मिलता है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक जीवनचक्र और जेनेटिक बदलावों का अध्ययन भी आसानी से कर पाते हैं। अगर किसी जेनेटिक म्यूटेशन का असर जानना हो या किसी लंबी बीमारी के प्रभाव का अध्ययन करना हो, तो यह प्रक्रिया चूहों पर तेजी से पूरी की जा सकती है।

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