पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया में छिपे हैं मैनेजमेन्ट के सात अहम् सूत्र

By abhijit majumder  |  First Published Mar 2, 2019, 3:19 PM IST

पुलवामा में सीआरपीएफ के 44 जवानों की शहादत पर राजनीति और विदेशी मामलों के जानकारों की राज जुदा हो सकती है, लेकिन प्रबंधन के छात्रों के लिए यह जानना दिलचस्प हो सकता है कि कैसे कश्मीर में सैन्यबलों पर हुए सबसे घातक हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिक्रिया से  आपातकालीन प्रबंधन और किसी संगठन की सामान्य कार्य प्रणाली जैसे अहम सबक हासिल हुए। 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाए गए कदमों में छुपे हैं प्रबंधन के सात महत्वपूर्ण सबक, जो कि आपको बिजनेस स्कूलों के पाठ्यक्रम में नहीं मिलेगा।  आइए आपको दिखाते है:

1. सबसे बुरे वक्त को भी अवसर में बदल देना 

मोदी संकट के समय को भी अवसर बना देने माहिर हैं। उन्होंने 2002 के दंगों को शातिर धर्मनिरपेक्ष राजनीति और हमारे मीडिया में गहरे तक समाए पूर्वाग्रह पर से परदा उठाने के मौके में बदल दिया। 

अपने विरोधियों और कुछ आर्थिक पंडितों द्वारा व्यापक रूप से प्रदर्शन किए गए प्रदर्शन, अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप से औपचारिक रूप से बदलने और डिजिटल बनाने के अलावा गरीबों को भाजपा के पाले में लाने में मदद करते हैं।
नोटबंदी, जिसकी आर्थिक पंडितों और उनके विरोधियों द्वारा तीखी आलोचना की गई, लेकिन उन्होंने इस मौके का फायदा उठाकर अर्थव्यवस्था को एक स्वरुप देने और डिजिटाइज करने के साथ साथ गरीबों को बीजेपी के पक्ष में लाने में सफलता हासिल की। 
इस बार मोदी ने पुलवामा हमले को भारत के जनमानस को पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट करने में सफलता हासिल की। जिसकी वजह से उन्हें आगे बढ़कर दुश्मन को सजा देने का मौका मिला और नरम रवैये वाली भारत की पुरानी छवि में बदलाव आया।
आज पूरा देश उनके पीछे खड़ा है, जिसकी वजह से उनके विरोधियों को चिंता हो गई है कि कहीं वह आने वाले चुनाव में एकतरफा जीत न हासिल कर लें।  

2. काबिल लोगों को आगे लाना और उनसे पहल करने के लिए कहना

प्रधानमंत्री ने आसपास बेहद काबिल और प्रतिभाशाली लोगों की किलेबंदी कर रखी है। उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, इस वक्त दुनिया के सबसे चतुर जासूस और रणनीतिकार के रुप में जाने जाते हैं। उन्होंने सैन्य बलों के कमांडरों को उनके गहरे रणनीतिक अनुभव के आधार पर चुना है। इनलोगों के नेतृत्व की सक्षमता बालाकोट हमले और डोकलाम जैसे अभियान में साफ झलकती है। 

3. इंतजार करना और सही समय पर हमला बोलना 

मोदी की इस क्षमता के बारे में तो कथाएं कही जाने लगी हैं। वह बिना पलटवार किए धैर्यपूर्वक लंबा इंतजार करते है, लगातार 12 सालों तक विरोधी और मीडिया के लोग गुजरात दंगो को लेकर उनपर निशाना साधते रहे। जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए हामी भरी तभी उन्होंने सोच लिया था कि सब कुछ साफ करने समय आ गया है। 
पुलवामा हमले के बाद उन्होंने कोई अप्रत्याशित फैसला नहीं किया। जब पूरा देश प्रतिशोध की मांग कर रहा था, तब उन्होंने 12 दिनों तक इंतजार किया। इस बीच उनके राजनयिक पूरी दुनिया में पाकिस्तान पर कार्रवाई के पक्ष में माहौल बनाते रहे। सुरक्षा मामलों की उनकी टीम पाकिस्तान को इस धोखे में रखने में सफल रही कि कोई भी दुस्साहसिक कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के बिल्कुल अंदर जाकर जैश ए मोहम्मद के कैंप पर हवाई हमला किया। 


4. दबाव या धमकी के तहत कोई समझौता नहीं करना

 भारत ने अपनी नीति में कड़ा बदलाव लाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की हिरासत के दबाव में पाकिस्तान से किसी तरह समझौता या लेन देन नहीं किया जाएगा। भारत ने पाकिस्तान से कहा कि बिना तनाव घटाने की उम्मीद के तुरंत अभिनंदन की सुरक्षित रिहाई करे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपनी इज्जत बचाने के लिए बड़प्पन का दिखावा करते हुए अभिनंदन को रिहा करने का फैसला किया। लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान के उपर अमेरिका, सऊदी और विश्व के दूसरे देशों का जबरदस्त दबाव था। 

5. दुश्मन के दोस्तों को अपने नजदीक रखना 

पाकिस्तान आज पूरी दुनिया में अकेला पड़ चुका है। मोदी के राज में भारत ने दुनिया भर में अपने रिश्ते सुधारने की जबरदस्त कवायद की, जिसमें कुछ पाकिस्तान के नजदीकी सहयोगी भी हैं। 
इसका परिणाम यह रहा कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे दूसरे मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान पर सही बर्ताव करने का दबाव डाला। भारत को इस बात से भी बढ़त मिली कि इस्लामिक देशों के संगठन(ओआईसी) में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संबोधन दिया जबकि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इससे दूर रहे। 
यहां तक कि चीन ने भी अपने पहले के रवैये के उलट पाकिस्तान को झटका दे दिया। चीन ने बकायदा ए बयान जारी किया जिसमें आतंकवाद के खात्मे के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात की गई, शायद ऐसा करते हुए चीन को अपने शिंजियांग प्रांत में चल रहे इस्लामी आतंकवाद का ध्यान रहा होगा। 

जब आप अपने शत्रु के दोस्तों के नजदीक हो जाते हैं, तो आपके खिलाफ शातिर योजनाएं बनाए जाने की आशंका कम हो जाती है। 

6. कई योजनाएं बनाकर उन सभी पर एक साथ काम करना

भारत के पास पाकिस्तान को सबक सिखाने की मात्र एक ही योजना नहीं थी। हवाई हमला इसमें से सबसे एक नाटकीय कदम था। लेकिन गंभीरतापूर्वक भारत ने इसके साथ साथ जबरदस्त कूटनीति, भारी जन समर्थन, आंतरिक रुप से जम्मू कश्मीर की मुश्किलों का कारण उसे विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 और 35ए के खिलाफ कार्रवाई जैसे मोर्चे भी खोल रखे थे। 
भारत दूसरे सैन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा था। हमारे व्यापारिक प्रतिबंध और मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने जैसे कदमों ने पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाई। 
 नतीजा यह रहा है इस तरह हर तरफ की घेराबंदी ने शत्रु को पंगु बना दिया।  

7. अप्रत्याशित कदमों से सबको चौंका देना

प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर से सबको चौंकाने में कामयाब रहे। सही समय पहचानने की क्षमता, अप्रत्याशित कदम उनके तरकश के सबसे घातक तीर हैं। वह अपने विरोधियों को अनुमान लगाते रहने का मौका देते रहते हैं। 
नोटबंदी या फिर राज्यों के मुख्यमंत्री चुनने की तरह पाकिस्तान पर हुए एयर स्ट्राइक ने उसे भारी हैरत में डाल दिया। 

लेकिन रचनात्मक तथा इच्छित अप्रत्याशितता दिखाने के लिए जबरदस्त तैयारी और शोध की जरुरत पड़ती है। प्रधानमंत्री ने इसका उदाहरण प्रदर्शित करने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती। 
इन सभी उदाहरणों से यह बात साबित होती है कि पिछले कुछ दिनों में अभूतपूर्व परिस्थितियों में लिए गए फैसले बिजनेस स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जा सकते हैं। 

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