गुजरात निवासी नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी संसदीय सीट को चुना। पीएम मोदी ने बनारस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला यूं ही नहीं कर लिया। दरअसल वाराणसी और मोदी के बीच एक नहीं पांच कनेक्शन हैं। हम आपको पीएम और काशी के सभी पांच संबंधों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। सबसे पहले जानिए बनारस से प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कनेक्शन के बारे में जो हैं स्वयं भगवान शिव:-
नई दिल्ली: दो महीने पहले यानी 8 मार्च को पीएम मोदी ने सार्वजनिक रुप से बयान दिया ‘मेरे सपने में काशी विश्वनाथ आए। उन्होंने कहा कि बोलते बहुत हो कुछ करके भी दिखाओगे । सैकड़ों सालों से तंग गलियों में बाबा जकड़े हुए थे। नया विश्वनाथ धाम इतना खुला हुआ है कि उसके बन जाने से बाबा को तंग जगह से मुक्ति मिल जाएगी’।
पीएम मोदी ने सपने में भगवान शिव से मिलने से संबंधित यह बयान ऐसे ही नहीं दे दिया। दरअसल स्वप्न अवचेतन मस्तिष्क की गतिविधियों को दिखाता है। पीएम मोदी भगवान शिव से इतने ज्यादा जुड़े हुए हैं कि उन्होंने स्वप्न में अपने आराध्य को देखा।
वाराणसी से पीएम मोदी के कनेक्शन का सबसे बड़ा कारण भगवान शिव हैं। प्राचीन काशी(वाराणसी) नगरी भगवान विश्वनाथ की नगरी कही जाती है। यहां विराजमान विश्वेश्वर मनुष्य को भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करते हैं। वाराणसी का प्रतिनिधि बिना महादेव के आशीर्वाद के नहीं चुना जा सकता है। इसलिए पीएम मोदी अपने आराध्य की इस नगरी से दूर कैसे रह सकते थे।
यह पहला कारण है कि पीएम मोदी ने वाराणसी को अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना। आईए आपको बताते हैं कैसे मोदी के महादेव कनेक्शन के कुछ प्रमुख संकेत-
वह अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान नरेन्द्र मोदी भगवान शिव के दर्शन का कोई मौका नहीं छोड़ते।
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर
साल 2014 में 4 अगस्त को अपनी नेपाल यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग पशुपतिनाथ में जाकर महादेव के दर्शन किए और रुद्राभिषेक किया।
उज्जैन का महाकाल मंदिर :
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 01 जून 2011 को नरेन्द्र मोदी सुबह साढ़े आठ बजे ही उज्जैन पहुंच गए थे। वह एयरपोर्ट से सीधा महाकाल के मंदिर पहुंचे और वहां एक घंटे तक विशेष पूजा की।
उत्तराखंड का केदारनाथ धाम
केदारनाथ से पीएम मोदी का मोह बड़ा पुराना है। पीएम बनने के बाद वह कई बार अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर केदारनाथ जा चुके हैं। पिछली दीवाली पर भी वह केदारनाथ क्षेत्र में थे। उन्होंने वहां दर्शन करने के बाद सैनिकों के साथ दीवाली मनाई थी। यहां पर आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद पुनर्वास के काम में पीएम निजी तौर पर रुचि लेते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि सार्वजनिक जीवन में आने से पहले पीएम मोदी केदारनाथ क्षेत्र में कई दिनों तक ध्यान साधना कर चुके हैं। वह पिछले कई सालों से केदारनाथ आते रहे हैं। शायद इसी वजह से केदारनाथ में पीएम ने ध्यान गुफा बनवाई है।
सोमनाथ मंदिर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के ही रहने वाले हैं। इसलिए यहां के प्रमुख ज्योतिर्लिंग सोमनाथ से उनका बड़ा पुराना संबंध रहा है। पीएम बनने के बाद उन्होंने 7 मार्च 2017 को सोमनाथ मंदिर में आरती की थी। वह 1 फरवरी 2014 को भी सोमनाथ पहुंचे थे।
ओडिशा का लिंगराज मंदिर
पीएम मोदी ने 16 अप्रैल 2017 को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर में पूजा की। यहां शिवपत्नी देवी पार्वती का भी प्रसिद्ध मंदिर है।
कोयंबटूर में विशाल शिव प्रतिमा का अनावरण
साल 2017 की महाशिवरात्रि के दौरान पीएम मोदी ने 24 फरवरी को कोयंबटूर में आदियोगी महादेव शिव की 112 फुट ऊंची विराट प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा सद्गुरु ने बनवाई थी।
विदेश में भी शिवदर्शन का मौका तलाशते हैं पीएम मोदी
ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल भारत में होते तभी महादेव के प्रति उनकी भक्ति जगती है। वह तो विदेशों में भी भगवान शिव के दर्शन के लिए उतने ही उत्सुक रहते हैं।
पीएम साल 2018 के फरवरी महीने में मुस्लिम देश ओमान की राजधानी मस्कट में पहुंचे थे। उन्होंने यहां के माताराह इलाके में 125 साल पुराने शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। इस मंदिर का निर्माण गुजराती व्यापारियों ने कराया था।
भगवान शिव के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की इस भक्ति को देखकर अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आखिर क्यों उन्होंने विश्वनाथ की नगरी काशी को अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना।
पीएम मोदी का वाराणसी से दूसरा कनेक्शन है मां गंगा- उसके बारे में भी हम जल्दी ही बताएंगे। तब तक पढ़ते रहिए माय नेशन।