वाशिंगटन।  अमेरिका (America) के बाइडेन (Biden) प्रशासन ने इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर एक बेहतर कदम उठाया है। इसके जरिये एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को काम करने के अधिकार की मंजूरी स्वत: मिल जाएगी। इस कदम से बड़ी संख्या में भारतीयों को फायदा होगा। दरअसल, अमेरिका में एच-1बी वीजाधारकों में बड़ी संख्या में भारतीय आईटी पेशवर शामिल हैं। इनके जीवनसाथियों और 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए एच-4 वीजा जारी किया जाता है। यह वीजा अमेरिकी  नागरिकता (citizenship) एवं इमिग्रेशन (immigration) सर्विस जारी करती है। यह सामान्य तौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है जो अमेरिका में रोजगार आधारित स्थायी निवासी दर्जे की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर चुके हैं।

एच-1बी वीजा गैर-आव्रजन वीजा है, जिसके जरिये अमेरिकी कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को रोजगार दे सकती हैं। इसी वीजा के जरिये अमेरिकी आईटी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर वर्ष हजारों लोगों को नौकरी पर रखती हैं। एच-1बी वीजा धारकों के परिजनों को एच-4 वीजा जारी किया जाता रहा है, जिसके जरिये वे भी अमेरिका में नौकरी कर सकते हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इस पर कुछ पाबंदियां लगा दी थीं। इससे एच-1बी वीजाधारकों के परिजनों की नौकरियां जा रही थीं। कुछ महीने पहले अमेरिकन इमीग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन ने मुकदमा दायर किया था, जिसमें एच-1 बी वीजा धारकों के परिजनों को बिना किसी प्रक्रिया के एच-4 वीजा जारी करने की मांग की गई थी। 

क्या है एच-4 वीजा :

एच -4 वीजा उन विदेशी पति/पत्नी को अमेरिका में काम करने की इजाजत देता है, जिनके पार्टनर को किसी वजह से वहां का स्थायी निवासी का पहचान पत्र नहीं मिला हो या फिर इस काम में उन्हें एक दशक या उससे भी अधिक समय लग रहा हो। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी लोग इस तरह के वीजा की डिमांड करते हैं। ओबामा प्रशासन ने एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को कुछ श्रेणियों के तहत काम करने की इजाजत दी थी। इसके बाद अब तक 90 हजारा से ज्यादा एच-4 वीजाधारकों को काम करने की वैधता हासिल हुई थी। इनमें ज्यादातर भारतीय अमेरिकी महिलाएं हैं।