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भारत की सैन्य शक्ति का वो अचूक अस्त्र जिससे कांपते हैं दुश्मन, चीन-पाकिस्तान भी हैं परेशान

भारत की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, जिसकी रफ्तार ध्वनि की गति से तीन गुना ज्यादा है, अब दुनिया की सबसे तेज मिसाइल मानी जाती है। जानिए कैसे यह मिसाइल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ा रही है और क्यों दुनिया के कई देश इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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Surya Prakash Tripathi
Published : Aug 27 2024, 03:04 PM IST| Updated : Aug 27 2024, 03:08 PM IST
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मंडरा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा

मंडरा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा

BrahMos Super Sonic Cruise Missile: आज के समय में जब दुनिया अस्थिरता और युद्ध की आग में झुलस रही है, हर देश अपनी सुरक्षा को लेकर सजग हो गया है। किसी भी समय, कोई भी देश किसी का भी दुश्मन बन सकता है, ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए तैयारी बहुत जरूरी हो गई है। एक ओर रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध चल रहा है, तो दूसरी ओर इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ हिजबुल्लाह-इजरायल पर लगातार रॉकेट दाग रहा है, जिसका इजरायल भी मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
 

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भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को किया हाईटेक

भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को किया हाईटेक

इन हालातों को देखते हुए भारत ने पिछले एक दशक में अपनी सैन्य शक्ति को अत्याधुनिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत ने विभिन्न देशों से अत्याधुनिक हथियार खरीदे हैं और अब वह उन्हें खुद बनाकर अन्य देशों को बेच भी रहा है। इन्हीं सबमें में ही भारत के पास एक ऐसा अचूक अस्त्र है, जिसका मुकाबला कोई भी देश नहीं कर सकता। इसीलिए कई देश इसे खरीदने के लिए लालायित हैं।
 

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मोस्ट डेंजरस मिसाइल है ब्रह्मोस

मोस्ट डेंजरस मिसाइल है ब्रह्मोस

इस मोस्ट डेंजरस मिसाइल का नाम है सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस। भारत और रूस द्वारा मिलकर बनाई गई इस मिसाइल की स्पीड मैक 2.8 है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना तेज है। इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो जमीन और जहाजों पर हमला करने में सक्षम है। मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है, और यह 10 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रूज कर सकती है। 
 

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जमीन, आसमान और समुद्र: कहीं से भी दाग सकते हैं ब्रह्मोस

जमीन, आसमान और समुद्र: कहीं से भी दाग सकते हैं ब्रह्मोस

इस मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि इसे जमीन, हवा या समुद्र से कहीं से भी फायर किया जा सकता है। इसके नए वर्जन को 450-500 किलोमीटर तक भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल 'दागो और भूल जाओ' के सिद्धांत पर काम करती है, यानी एक बार दागने के बाद इसे गाइड करने की जरूरत नहीं होती। यह अपने लक्ष्य को तबाह करके ही रुकती है और रडार की पकड़ में भी आसानी से नहीं आती, जिससे दुश्मनों के लिए इससे बच पाना मुश्किल हो जाता है।
 

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चीन और पाकिस्तान तक हैं परेशान

चीन और पाकिस्तान तक हैं परेशान

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ब्रह्मोस मिसाइल के 800 किलोमीटर वेरिएंट को भी डेवलप कर रहा है। यह चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए भी चिंता का विषय है। यह रडार और अन्य पहचान विधियों के लिए कम दिखाई देने वाली स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। इसमें जहाजों के खिलाफ उपयोग के लिए एक जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (Inertial Navigation System) और भूमि लक्ष्यों के खिलाफ उपयोग के लिए एक ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) भी है। मिसाइल का पहली बार परीक्षण 2000 में किया गया था, और यह सुपरसोनिक गति पर परीक्षण की जाने वाली पहली क्रूज मिसाइल थी। ब्रह्मोस में कई उन्नत क्षमताएं हैं, जिनमें शामिल हैं:

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भारत की सैन्य शक्ति में ब्रह्मोस की भूमिका

भारत की सैन्य शक्ति में ब्रह्मोस की भूमिका

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के MD और CEO अतुल दिनकर राणे के अनुसार, "ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का दुनिया में कोई सानी नहीं है। यह भारतीय सेना के तीनों अंगों—थलसेना, जलसेना और वायुसेना के लिए फ्रंटलाइन वेपन है। भारत ही दुनिया में इकलौता ऐसा देश है, जिसकी एक ही सुपरसोनिक मिसाइल तीनों सेनाओं के लिए है।"
 

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कितने वॉरशिप पर तैनात हैं सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस

कितने वॉरशिप पर तैनात हैं सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस

भारतीय सेना के करीब 15 वॉरशिप पर ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात हैं, जिसमें INS विशाखापत्तनम, INS मोरमुगाओ और INS इम्फाल शामिल हैं। वायुसेना भी अपने 20-25 सुखोई विमानों को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने की योजना बना रही है, और करीब 40 जेट्स का पहला बैच इस मिसाइल से लैस हो चुका है। भारतीय सेना भी अधिक ब्रह्मोस मिसाइलों की मांग कर रही है और कुछ मिसाइलें अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में तैनात हैं, जहां चीन के साथ तनाव बना हुआ है।
 

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ब्रह्मोस की वैश्विक मांग

ब्रह्मोस की वैश्विक मांग

ब्रह्मोस की अद्भुत शक्ति को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। भारत ने हाल ही में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल का पहला बैच एक्सपोर्ट किया है। जनवरी 2022 में एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए 375 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। ब्रह्मोस मिसाइल का 75% हिस्सा स्वदेशी है और भारत 2026 तक पूरी तरह इसे देश में बनाने की योजना बना रहा है।

 

 

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विश्व के कई देशों में इस मिसाइल को खरीदने की मची होड़

विश्व के कई देशों में इस मिसाइल को खरीदने की मची होड़

भारत ने 2021 में उन देशों की लिस्ट बनाई थी, जिन्हें ब्रह्मोस मिसाइलें बेची जा सकती हैं। इन देशों में फिलीपींस, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, UAE और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। इसके अलावा इजिप्ट, सिंगापुर, वेनेजुएला, ग्रीस, अल्जीरिया, साउथ कोरिया, चिली और वियतनाम के प्रतिनिधिमंडल ने भी इस मिसाइल को खरीदने में गंभीर रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस मिसाइल न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और इंटरनेशनल मार्केट में उसकी बढ़ती साख का भी प्रमाण है।

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Surya Prakash Tripathi
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