डाइसेनिया का नाम शायद आपने सुना होगा, ये एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। जिसमें नींद के बाद सुबह बिस्तर से उठने में असमर्थ होने की लंबी भावना बनी रहती है। यह जागने में होने वाली सामान्य कठिनाई से कहीं अधिक है और उठने में कामयाब होने के बाद भी बिस्तर पर पड़े रहने की लगातार इच्छा पैदा कर सकता है। यह नींद की जड़ता और थकान के समान है। दरअसल डाइसेनिया एक डिसऑर्डर होता है, इस परेशानी को ‘क्लीनोमैनिया’ भी कहा जाता है। इस बीमारी में सुबह बिस्तर छोड़ने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। यह स्तिथि अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है जो अत्यधिक थकान का कारण बन सकता है। डाइसेनिया की वजह, 5 तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 

हार्ट की बीमारी
जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि हृदय रोगों के कारण थकान और सुबह उठने में कठिनाई हो सकती है। धूम्रपान, अधिक वजन, मधुमेह, उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे कारक हृदय या फेफड़ों की बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

नींद संबंधी विकार: नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लिमेंटरी एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, नींद संबंधी विकार लगभग 80 प्रकार के होते हैं। इनमें से कोई भी नींद विकार डाइसेनिया में योगदान दे सकता है और सुबह तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करने के लिए उठना चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

डिप्रेशन: डाइसेनिया और डिप्रेशन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अवसाद नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है और नींद की कमी से डिप्रेशन के लक्षण बिगड़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य चिकित्सीय स्थितियों के कारण होने वाली थकान भी डिप्रेशन का कारण बन सकती है।

क्रोनिक थकान सिंड्रोम (CFS): सीएफएस कम से कम छह महीने तक चलने वाली अत्यधिक थकान की विशेषता है और किसी अन्य चिकित्सा स्थिति द्वारा पूरी तरह से समझाया नहीं गया है। शारीरिक या मानसिक प्रयास थकान को बढ़ा सकते हैं और आराम से लक्षण कम नहीं हो सकते हैं।

थायराइड विकार: क्रोनिक थकान हाइपोथायरायडिज्म या हाशिमोटो रोग जैसे थायराइड विकारों से जुड़े हो सकते हैं। यदि इन स्थितियों का इलाज नहीं किया जाता है, तो थकान महीनों या वर्षों तक बनी रह सकती है।

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