हेल्थ डेस्क: आजकल मल्टीपल प्रेग्नेंसी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण IVF टेक्नोलॉजी और फर्टिलिटी से संबंधित दवाइयां हैं। जयपुर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जयपुर की 21 साल की लड़की ने 4 बच्चों को एक साथ जन्म दिया। मां और बच्चों दोनों की हालत गंभीर बनी हुई है। मल्टीप्ल प्रेग्नेंसी और मल्टीपल बर्थ से कई जोखिम जुड़े होते हैं। जानते हैं आखिर मल्टीपल बर्थ से होने वाले बच्चे और मां को क्या खतरा रहता है।

1. प्रीमेच्योर लेबर और बर्थ (Premature labor and birth)

प्रीमेच्योर लेबर और बर्थ मल्टीप्ल बर्थ का सबसे बड़ा कॉम्प्लीकेशन है। एक साथ कई बच्चों का जन्म प्रेग्नेंसी वीक पूरा नहीं कर पाता है। 37 वीक में डिलिवरी के चांसेज रहते हैं। बच्चों का जन्म समय से पहले होने पर वजन में कमी, सांस लेने में समस्या आदि कॉम्प्लीकेशन रहते हैं। 40 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे स्वस्थ्य होते हैं।

2. प्रीक्लेम्पसिया की संभावना (Preeclampsia)

प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर हाई हो जाने को कंडीशन को प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) कहा जाता है। जिन महिलाओं के मल्टीपल प्रेग्नेंसी होती है उनमें प्रीक्लेम्पसिया की संभावना अधिक रहती है। महिला के यूरिन से अधिक मात्रा में प्रोटीन आने लगती है। तीन बच्चों या अधिक की स्थिति में ब्लड प्रेशर बढ़ने के चांसेज अधिक होते हैं।

3. जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)

प्लेसेंटा में हार्मोन अधिक बढ़ जाने के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा रहता है। अगर महिला के अंदर 2 प्लेसेंटा है तो उसे इन्सुलिन रेजिस्टेंस की संभावना अधिक रहती है।

4. फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन (intrauterine growth restriction)

जब एक या एक से अधिकबच्चों की गर्भाशय में वृद्धि नहीं हो पाती है तो इस कंडीशन को फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन या फिर इंट्रायूटेराइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन कहते हैं।इस कारण से बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता है साथ ही बच्चों का वजन भी बहुत कम होता है।

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