राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले मुकेश मजदूरी का काम करते हैं। उनकी बेटी अश्विनी विश्नोई रेसलिंग में ही अपना करियर बनाना चाहती थी। पर पिता के लिए अपनी बेटी को रेसलिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिला पाना मुश्किल था। कहते हैं कि यदि इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती हैंं।
जयपुर। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले मुकेश मजदूरी का काम करते हैं। उनकी बेटी अश्विनी विश्नोई रेसलिंग में ही अपना करियर बनाना चाहती थी। पर पिता के लिए अपनी बेटी को रेसलिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिला पाना मुश्किल था। कहते हैं कि यदि इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती है। अश्विनी के साथ भी यही हुआ। वह घर पर ही रेसिलंग के दांव पेंच सीखने लगीं। जिस तरह की प्रैक्टिस मंझे हुए खिलाड़ी बड़े प्रशिक्षण केंद्रों पर करते हैं। उसी तरह का अभ्यास उन्होंने घर पर ही शुरु कर दिया। अश्विनी की यह मेहनत रंग लाई है। ओमान में आयोजित अंडर-15 एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप के 62 किग्रा इवेंट में उन्होंने गोल्ड जीता है।
घर से मिली खेल में करियर बनाने की प्रेरणा
अश्विनी के पिता स्टेट लेबल के खिलाड़ी थे। अश्विनी को भी खेल में करियर बनाने की प्रेरणा घर से ही मिली। साल 2018 में उनके चचेरे भाई ने एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीता था। तभी अश्विनी ने रेसलर बनने की इच्छा जताई थी और घर पर ही प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया। प्रतिदिन 7-8 घंटे प्रैक्टिस करती रहीं। अश्विनी कुश्ती की तैयारी पिछले 4 साल से कर रही थीं।
पापा और कोच की वजह से संभव हो सकी जीत
कुश्ती में करियर बनाने की अश्विनी की जिद को पहले उनके पिता मुकेश विश्नोई टालते रहें। पर बाद में उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी। वह बेटी की प्रैक्टिस में मदद करते रहें। अश्विनी सुबह शाम कुश्ती की प्रैक्टिस करतीं और दिन में पढ़ाई। एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने चार मैच खेले और चारो मैच में उन्हें जीत मिली। मीडिया से बात करते हुए वह कहती हैं कि ऐसा पापा और कोच की वजह से ही संभव हो पाया। जीत में मेरी मेहनत के साथ पापा की भी मेहनत है।
इंटरनेशनल कॉम्पिटीशन जीतने वाली राज्य की पहली महिला रेसलर
अश्विनी ने फाइनल मुकाबले में किर्गिस्तान की अयाना असामालिकोवा को 4-0 से शिकस्त दी। सेमीफाइनल में जापान की रेसलर को मात देकर फाइनल में जगह बनाई थी। पहले मैच में चीनी तायपेई और दूसरे मैच में कजाकिस्तान की रेसलर को हराया था। इस जीत के साथ अश्विनी के नाम एक अनोखा रिकार्ड भी दर्ज हो गया है। इंटरनेशनल कॉम्पिटीशन में गोल्ड जीतने वाली वह राज्य की पहली महिला पहलवान भी बन गई हैं। राजस्थान की वह एक मात्र महिला पहलवान हैं, जिन्होंने इस चैम्पियनशिप में भाग लिया था।
Last Updated Jul 19, 2023, 3:06 PM IST