लखनऊ। यूपी के कन्नौज में तैनात जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. पूरन सिंह एक साधारण किसान परिवार में जन्मे। पर सपना कुछ बड़ा करने का था। उनके पिता भिकम्बर सिंह, अलीगढ़ के एक छोटे से गांव रहमतपुर में खेती करते थे। घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि पढ़ाई के लिए फीस जुटाना भी मुश्किल होता था। लेकिन डॉ. पूरन सिंह ने कभी हार नहीं मानी। मुश्किलों को हराकर वो मुकाम हासिल किया, जो आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

डॉ. पूरन सिंह एजूकेशन

डॉ. पूरन सिंह की शुरुआती पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय, रह्मापुर से हुई, जहां उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाई की। इसके बाद, कक्षा 6 से 8 तक सरकारी विद्यालय में ही पढ़ें। ग्रामोदय सेवा संस्थान से 9वीं और 10वीं पास की। जन कल्याण इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की। डॉ. पूरन सिंह हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहे। भूगोल उनका पसंदीदा विषय था, और बाद में उन्होंने इसी विषय में एसवी डिग्री कॉलेज से पीएचडी की।

पढ़ाई में कई बार आईं रुकावटें

कॉलेज के दिनों में, डॉ. पूरन सिंह अपने दोस्तों के साथ जरूर रहते थे, लेकिन उनके जैसा जीवन जीने की बजाय खुद को पढ़ाई और मेहनत में व्यस्त रखते थे। हमेशा अपने टीचर्स को अपना आदर्श माना। शिक्षकों की तरह समाज में एक सम्मानजनक स्थान बनाने का सपना देखा। दोस्तों के घूमने-फिरने और मौज-मस्ती से खुद को अलग रखकर, अपने लक्ष्य पर फोकस किया। गरीबी के कारण उनकी पढ़ाई में कई बार रुकावटें आईं। फीस भरने के लिए उनके बड़े भाई ने मदद की। कई बार आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

सरकारी स्कूल में प्रवक्ता के रूप में करियर की शुरूआत

डॉ. पूरन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत 1993 में एक सरकारी स्कूल में प्रवक्ता के रूप में की। उनकी पहली तैनाती गाजियाबाद में हुई, जहां उन्होंने 8 साल तक टीचिंग का काम किया। डॉ. पूरन सिंह के अनुसार, उनके जीवन में सबसे बड़ा प्रभाव उनके टीचर का रहा। एक टीचर को देखकर उनके मन में भी वैसी ही पहचान बनाने की इच्छा जागी। शिक्षकों के प्रति सम्मान और उनसे प्रेरणा लेने की आदत ने उन्हें अपने सपनों को साकार करने में मदद की।

नौकरी के साथ पीसीएस की तैयारी

डॉक्टर पूरन सिंह नौकरी के साथ पीसीएस एग्जाम की भी तैयारी करते रहें। 1 जनवरी 2001 को उन्होंने पीसीएस एग्जाम क्रैक किया और जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर चयनित हुए। मुजफ्फरनगर में पहली पोस्टिंग के बाद बस्ती, आगरा, बहराइच और लखनऊ जैसे जिलों में कार्यरत रहें।

ये भी पढें-IIT ग्रेजुएट से बिहार के DGP तक: जानें कैसे पहुंचे बुलंदियों तक?