गंधम चंद्रुडू 1200 की आबादी वाले गांव  के पहले इंसान है जिसने शिक्षा हासिल की। उनके माता पिता दिहाड़ी मज़दूर थे। गंधम ने मेहनत से पढाई किया और रेलवे में नौकरी शुरू किया।  वो रेलवे में टिकट कलेक्टर थे लेकिन उनका दिल नौकरी में नहीं लगा।  गंधम ने सिविल सर्विसेज़ की  परीक्षा दी और पहले ही अटेम्प्ट में कामयाबी हासिल कर बन गए आईएएस ऑफिसर। 

आंध्र प्रदेश. अनंतपुरम के आईएएस अफसर गंधम चंदरूडू अपने परिवार की पहली पीढ़ी है जिन्होंने शिक्षा हासिल की। पहले वह सेंट्रल रेलवे जोन में टिकट कलेक्टर थे और बाद में सिविल परीक्षा पास करके जिला कलेक्टर बन गए। 

गंधम के माता पिता मज़दूर थे 
गंधम चंदरूडू आंध्र प्रदेश के करनूल जिले स्थित कोटपाडु गाँव में एक किसान परिवार से सम्बन्ध रखते हैं। गंधम चंदरूडू के माता-पिता खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करते थे। उन्होंने गांव के स्थानीय स्कूल से पांचवी तक की पढ़ाई की फिर पब्लिक स्कूल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जवाहर नवोदय में एडमिशन लिया। इस स्कूल में फीस न के बराबर थी। यहां से दसवीं पास करने के बाद उन्होंने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की परीक्षा दी और रेलवे की नौकरी मिल गई। साल 2000 में गंधम टिकट कलेक्टर बन गए। चूंकि वह नौकरी कर रहे थे इसलिए स्कूल, कॉलेज जाना मुश्किल था लिहाज़ा इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से उन्होंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और पब्लिक पॉलिसी सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अपनी तनख्वाह से वह अपने भाई का खर्चा उठा रहे थे। उनके भाई भी पढाई कर रहे थे लेकिन फीस जमा न होने के कारण उन्हें कॉलेज ड्रॉप आउट कर दिया था ।

9 साल नौकरी के बाद दिया सिविल परीक्षा 
गंधम टिकट कलेक्टर की नौकरी फुल टाइम कर रहे थे लेकिन उनके मन में एक बेचैनी थी वह कुछ और करना चाहते थे। 9 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने सिविल परीक्षा देने के लिए सोचा। सिविल के लिए एक साल की तैयारी मुश्किल थी इसलिए उन्होंने अपने विभाग में नाइट शिफ्ट की नौकरी देने के डिमांड किया। दिन में वह पढ़ाई करने लगे और रात में ड्यूटी। ९ घंटे पढाई कर के अपने पहले ही अटेम्प्ट में उन्होंने सिविल परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 198 हासिल किया जिसके बाद उन्हें आंध्र प्रदेश कैडर मिला।

बीस हज़ार आदिवासियों को रजिस्टर कराया गंधम ने 
गंधम की शुरुआती पोस्टिंग रंपचोड़वरम में हुई जहां पर आदिवासी समुदाय के लोग ज़्यादा रहते थे। यह वह लोग थे जिन्होंने आजादी के बाद कभी वोट नहीं किया था। गंधम ने बीस हज़ार ट्राइबल वोटर को रजिस्टर करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जिसके बाद यह आदिवासी साल 2014 में पहली बार वोट करने गए। 

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